विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 07
(" ललाट के मध्य में सूक्ष्म श्वास (प्राण) को टिकाओ . जब वह सोने के क्षण में हृदय तक पहुंचेगा तब स्वप्न और स्वयं मृत्यु पर अधिकार हो जायेगा. ")
इस विधि को तीन हिस्सों में लो . एक , श्वास के भीतर जो प्राण है , जो उसका सूक्ष्म , अदृश्य , अपार्थिव अंश है , उसे तुमको अनुभव करना होगा . यह तब होता है , जब तुम भृकुटियों के बीच अवधान को थिर रखते हो . तब यह आसानी से घटित होता है . अगर तुम अवधान को अंतराल में टिकाते हो , तो भी घटित होता है , मगर उतनी आसानी से नहीं . यदि तुम नाभि-केन्द्र के प्रति सजग हो , जहाँ श्वास आती है और छू कर चली जाती है , तो भी यह घटित होता है , पर कम आसानी से . उस सूक्ष्म प्राण को जानने का सबसे सुगम मार्ग है , तीसरी आँख में थिर होना . वैसे तुम जहाँ भी केंद्रित होगे , यह घटित होगा . तुम प्राण को प्रभावित होते अनुभव करोगे .
इस विधि को तीन हिस्सों में लो . एक , श्वास के भीतर जो प्राण है , जो उसका सूक्ष्म , अदृश्य , अपार्थिव अंश है , उसे तुमको अनुभव करना होगा . यह तब होता है , जब तुम भृकुटियों के बीच अवधान को थिर रखते हो . तब यह आसानी से घटित होता है . अगर तुम अवधान को अंतराल में टिकाते हो , तो भी घटित होता है , मगर उतनी आसानी से नहीं . यदि तुम नाभि-केन्द्र के प्रति सजग हो , जहाँ श्वास आती है और छू कर चली जाती है , तो भी यह घटित होता है , पर कम आसानी से . उस सूक्ष्म प्राण को जानने का सबसे सुगम मार्ग है , तीसरी आँख में थिर होना . वैसे तुम जहाँ भी केंद्रित होगे , यह घटित होगा . तुम प्राण को प्रभावित होते अनुभव करोगे .
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