चेतना के प्रतिक्रमण का रहस्य-सूत्र - ओशो अंधकार बाहर ही है। भीतर तो सदा ही आलोक है। ध्यान बहिर्गामी है तो रात्रि है। ध्यान अंतर्गामी बने तो...
Osho Thoughts
“जीवन एक उद्देशहीन खेल है, ये एक अनगिनत सेनाओं का खेल है – जो सुन्दर होगा यदि आपके पास सफल इंसान का दिमाग ना हो तो और बदसूरत होगा यदि आपके पास कुछ बनने की चाह हो तो।”
― ओशो