Osho Hindi Pdf- Prabhu Mandir Ke प्रभु मंदिर के द्वार
प्रभु मंदिर के द्वार
१ समग्रता है द्वार मेरे प्रिय आत्मन, सुबह की चर्चा के संबंध में बहुत से प्रश्न मित्रों ने पूछे हैं। एक मित्र ने पूछा है कि क्या ईश्वर है, जिसकी हम खोज करें? और भी दो तीन मित्र ने ईश्वर के संबंध में ऐसे ही प्रश्न पूछे हैं कि क्या आप ईश्वर को मानते हैं, क्या अपने ईश्वर का दर्शन किया है? कुछ मित्रों ने संदेह किया है कि ईश्वर तो नहीं है, उसको खोजें ही क्यों? इसे थोड़ा समझ लेना उपयोग होगा| मैं जब परमात्मा का, प्रभु का, या ईश्वर शव द का प्रयोग करता हूं तो मेरा प्रयोजन है, उससे जो है। दैट, व्हिच इज। जो है। जीवन है। अस्तित्व है। हम नहीं थे तब की अस्तित्व था। हम नहीं होंगे, तब भी अस्तित्व होगा। हमारे भीतर ही अस्तित्व है। जीवन है। जीवन की यह समग्रता, यह टोटलिटीही परमात्मा है। इस जीवन का हमें कुछ भी पता नहीं, किया क्या है? स्वयं के भीतर की जो जीवन है उसका भी हमें कोई पता नहीं कि वह क्या है
एक फकीर था बायजीद-कोई उसके द्वार पर दस्तक दे रहा है। और कह रहा है, द्वार खोलो। वायजीद भीतर से पूछता है, किसको बुलाते हो, किसको खोजते हो? कौन द्वार खोले? अगर आपके घर किसी ने दस्तक ही होती तो आप पूछते कौन है? कौन बुलाता है ? बायजीद ने कहा, कौन के लिए बुलाते हो? किसे बुलाते ह 7, कौन दरवाजा खोले? किसको पुकारते हो? बायजीद ने यह नहीं पूछा कि कौन पुकारता है, वायजीद ने कहा, किसको पुकारते हो? उस आदमी ने कहा, किसको पुकारूंगा? वायजीद को पुकारता हूं, बायजीद-दरवाजा खोलो! बायजीद ने कहा, फर क्षमा करो। वर्षों से मैं खोज रहा हूं कि यह वायजीद कौन है? अभी तक मैं खोज नहीं पाया है। मुझे खुद ही पता नहीं कि बायजीद कौन है? मैं कौन हं, यह मुझे खुद ही पता नहीं है। मजाक में ही यह वायजीद ने कहा होगा। द्वार तो खोल दिए थे। लेकिन तीक ही बात की थी।
यह हमें पता नहीं कि मैं कौन हूं? जीवन क्या है? यह हमें पता न हीं। अस्तित्व क्या है, यह हमें पता नहीं। और जब तक अस्तित्व का पता न हो, जीवन का पता न हो, तब तक हम जीते हैं नाम मात्र को। वस्तुतः मरते हैं हीरेहीरे। जीते नहीं है और मरने वी इस लंबी प्रक्रिया को ही जीवन समझ लेते हैं। जब मैं कहता हूं प्रभु का द्वार, तो जानना कि मैं कह रहा हूं जीवन का द्वार। जीव नवी समग्रता का नाम ही परमात्मा है| परमात्मा कोई व्यक्ति नहीं है करी बैठा हुआ, कि आप जाएंगे और इंटरव्यू ले लेंगे, भेंट हो जाएगी। परमात्मा कहीं कोई ४ यक्ति नहीं है जो बैठा हुआ है। आपकी प्रतीक्षा कर रहा है दरवाजे के भीतर, आ प दरवाजा खोलेंगे और वह मिल जाएगा। परमात्मा का अर्थ है, यह जो जीवन क | अनंत विस्तार है, यह जीवन का समस्त सारभूत है-इस सबको ही हम परमात्मा कह रहे हैं। जीवन के द्वार को खोल लेना ही परमात्मा के द्वार को खोल लेना ........................
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