कुंडलिनी ध्यान - ओशो
कुंडलिनी ध्यान - ओशो यह एक अदभुत ध्यान-पद्धति है और इसके जरिए मस्तिष्क से हृदय में उतर आना आसान हो जाता है। एक घंटे के इस ध्यान में पंद्रह...
कुंडलिनी ध्यान - ओशो यह एक अदभुत ध्यान-पद्धति है और इसके जरिए मस्तिष्क से हृदय में उतर आना आसान हो जाता है। एक घंटे के इस ध्यान में पंद्रह...
परमात्मा की पहचान निःशब्द में, मौन में, सायलेंस में ही संभव है - ओशो हम सब जिंदा हैं, लेकिन हमने जिंदगी में एक भी क्षण न जाना होगा जब किस...
नटराज ध्यान - ओशो नटराज ध्यान के संबंध में बोलते हुए ओशो ने कहा है— परमात्मा को हमने नटराज की भांति सोचा है। हमने शिव की एक प्रतिमा भी बना...
धर्म की साधना तो हो सकती है, शिक्षा नहीं होती - ओशो मैं एक छोटे से अनाथालय में गया था। कोई सौ बच्चे थे । और अनाथालय के संयोजकों ने मुझे क...
नादब्रह्म ध्यान - ओशो तिब्बत देश की यह बहुत पुरानी विधि है। बड़े भोर में, दो और चार बजे के बीच उठकर, साधक इस विधि का अभ्यास करते थे और फिर...
सिखाया हुआ ज्ञान नहीं है, सिखाया हुआ तोते की तरह रटन है - ओशो मेरे एक मित्र रूस गए थे। एक स्कूल में देखने गए थे। एक स्कूल के छोटे-छोटे बच...
विपश्यना ध्यान - ओशो यह ध्यान विधि भगवान बुद्ध की अमूल्य देन है। ढाई हजार वर्षों के बाद भी उसकी महिमा में, उसकी गरिमा में जरा भी कमी नहीं ह...
अधार्मिकों के सिवाय मंदिरों में शायद ही कोई कभी जाता है - ओशो मैंने सुना है, एक गांव में एक फकीर मेहमान हुआ और उस गांव के लोग आए और उस ...
गौरीशंकर ध्यान - ओशो घंटेभर के इस ध्यान में चार चरण हैं और प्रत्येक चरण पंद्रह मिनट का है। पहले चरण को ठीक से करने पर आपके रक्त प्रवाह में...
चेतना के प्रतिक्रमण का रहस्य-सूत्र - ओशो अंधकार बाहर ही है। भीतर तो सदा ही आलोक है। ध्यान बहिर्गामी है तो रात्रि है। ध्यान अंतर्गामी बने तो...