जहां लालच है, वहां चित्त अशांत है - ओशो
जहां लालच है, वहां चित्त अशांत है - ओशो लालच से भरा हुआ चित्त ही अशांत होता है। जहां लालच है, वहां चित्त अशांत है । और जब तक चित्त अशांत ...
जहां लालच है, वहां चित्त अशांत है - ओशो लालच से भरा हुआ चित्त ही अशांत होता है। जहां लालच है, वहां चित्त अशांत है । और जब तक चित्त अशांत ...
ध्यान है भीतर झांकना - ओशो बीज को स्वयं की संभावनाओं का कोई भी पता नहीं होता है। ऐसा ही मनुष्य भी है। उसे भी पता नहीं है कि वह क्या है क्...
हम सब वहीं खड़े हुए हैं, जहां से हमें कहीं भी जाना नहीं हैं - ओशो मैंने सुना है, एक आदमी ने शराब पी ली थी और वह रात बेहोश हो गया। आदत के ...
ध्यान है अमृत—ध्यान है जीवन - ओशो विवेक ही अंततः श्रद्धा के द्वार खोलता है। विवेकहीन श्रद्धा श्रद्धा नहीं, मात्र आत्म-प्रवंचना है। ध्यान ...
सब खोज व्यर्थ है - ओशो लोभ करने का कोई उपाय नहीं है, क्योंकि जिसका हम लोभ करें वह हमारे भीतर ही बैठा हुआ है । और यदि हमने लोभ किया तो हम ...
ध्यान की अनुपस्थिति है मन - ओशो ध्यान के लिए श्रम करो। मन की सब समस्याएं तिरोहित हो जाएंगी। असल में तो मन ही समस्या है, माइंड इज़ दि प्रॉब्...
जिसकी आप बात कर रहे हैं भगवत् - प्राप्ति की, वह है अभी, यहीं, इसी वक्त - ओशो मैंने सुनी है एक कहानी कि भगवान ने सारी दुनिया बनाई है और ...
मन का विसर्जन–साक्षी-भाव से - ओशो मन के रहते शांति कहां? क्योंकि वस्तुतः मन ही अशांति है। इसलिए शांति की दिशा में मात्र विचार से, अध्ययन स...
अस्तित्व तो सदा वर्तमान है - ओशो हम आमतौर से पूछते हैं, परमात्मा को कैसे पाएं ? वह प्रश्न ही गलत है। पूछना चाहिए कि हमने परमात्मा को कैसे ख...
चेतना के प्रतिक्रमण का रहस्य-सूत्र - ओशो अंधकार बाहर ही है। भीतर तो सदा ही आलोक है। ध्यान बहिर्गामी है तो रात्रि है। ध्यान अंतर्गामी बने तो...