विज्ञान भैरव तंत्र - ओशो
भूमिका ``तंत्र विज्ञान है; तंत्र दर्शन नहीं है. दर्शन को समझना आसान है; क्यूंकि उसके लि...
भूमिका ``तंत्र विज्ञान है; तंत्र दर्शन नहीं है. दर्शन को समझना आसान है; क्यूंकि उसके लि...
( " हे देवी , यह अनुभव दो श्वासों के बीच घटित हो सकता है. श्वास के भीतर आने के पश्चात् और बाहर लौटने के ठीक पूर्व -- श्रेयस है, कल्याण ...
( " या जब कभी अन्तः श्वास और बहिर्श्वांस एक दूसरे में विलीन होती हैं , उस क्षण में ऊर्जारहित , ऊर्जापूरित केन्द्र को स्पर्श करो . ...
( " जब श्वास नीचे से ऊपर की ओर मुड़ती है , और फिर जब श्वास ऊपर से नीचे की ओर मुड़ती है -- इन दो मोड़ों के द्वारा उपलब्ध हो . " ) थोड़ ...
(" ललाट के मध्य में सूक्ष्म श्वास (प्राण) को टिकाओ . जब वह सोने के क्षण में हृदय तक पहुंचेगा तब स्वप्न और स्वयं मृत्यु पर अधिकार हो जा...
(" भृकुटियों के बीच अवधान को स्थिर कर विचार को मन के सामने करो. फिर सहस्रार तक रूप को प्राण-तत्व से, प्राण से भरने दो. वहां वह प्रकाश क...
(" या जब श्वास पूरी तरह बाहर गई है और स्वतः ठहरी है , या पूरी तरह भीतर आई है और ठहरी है -- ऐसे जागतिक विराम के क्षण में व्यक्ति का क्षु...
(" ललाट के मध्य में सूक्ष्म श्वास (प्राण) को टिकाओ . जब वह सोने के क्षण में हृदय तक पहुंचेगा तब स्वप्न और स्वयं मृत्यु पर अधिकार हो जा...
(" मृतवत लेट रहो . क्रोध से क्षुब्ध होकर उसमें ठहरे रहो . या पुतलियों को घुमाए बिना एकटक घूरते रहो . या कुछ चूसो और चूसना बन जाओ ....
(" आत्यंतिक भक्तिपूर्वक श्वास के दो संधि-स्थलों पर केंद्रित होकर ज्ञाता को जान लो .") इन विधियों के बीच जरा-जरा भेद है , जरा-जरा अ...
चेतना के प्रतिक्रमण का रहस्य-सूत्र - ओशो अंधकार बाहर ही है। भीतर तो सदा ही आलोक है। ध्यान बहिर्गामी है तो रात्रि है। ध्यान अंतर्गामी बने तो...