विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 20
(" किसी चलते वाहन में लयबद्ध झूलने के द्वारा , अनुभव को प्राप्त हो . या किसी अचल वाहन में अपने को मंद से मन्दतर होते अदृश्य वर्तुलों में झूलने देने से भी .")
लयबद्ध ढंग से झूलो . इस बात को समझो , बहुत बारीक बात है . जब भी तुम किसी बैलगाडी या किसी वाहन में चलते हो तो तुम प्रतिरोध करते होते हो . बैलगाड़ी बाईं तरफ झुकती है , लेकिन तुम उसका प्रतिरोध करते हो ; तुम संतुलन रखने के लिए दाईं तरफ झुक जाते हो , अन्यथा तुम गिर जाओगे . इसलिए तुम निरंतर प्रतिरोध कर रहे हो . बैलगाड़ी में बैठे-बैठे तुम बैलगाड़ी के हिलने-डुलने से लड़ रहे हो . वह इधर जाती है तो तुम उधर जाते हो . यही वजह है कि रेलगाड़ी में बैठे-बैठे तुम थक जाते हो . तुम कुछ करते नहीं हो तो थक क्योंजाते हो ? अनजाने ही तुम बहुत कुछ कर रहे हो . तुम निरंतर रेलगाड़ी से लड़ रहे हो , प्रतिरोध कर रहे हो . प्रतिरोध मत करो , यह पहली बात है . अगर तुम इस विधि को प्रयोग में लाना चाहते हो तो प्रतिरोध छोड़ दो . बल्कि गाड़ी की गति के साथ-साथ गति करो , उसकी गति के साथ-साथ झूलो . बैलगाड़ी का अंग बन जाओ , प्रतिरोध मत करो . रास्ते पर बैलगाड़ी जो भी करे , तुम उसके अंग बन कर रहो . इसी कारण यात्रा में बच्चे कभी नहीं थकते हैं . " किसी चलते वाहन में लयबद्ध झूलने के द्वारा , अनुभव को प्राप्त हो... " सूत्र कहता है कि तुम्हें अनुभव प्राप्त हो जायगा . " या किसी अचल वाहन में ..." यह मत पूंछो कि बैलगाड़ी कहाँ मिलेगी ! अपने को धोखा मत दो . क्योंकि यह सूत्र कहता है : "या किसी अचल वाहन में अपने मंद को मन्दतर होते अदृश्य वर्तुलों में झूलने देने से भी ." यहीं बैठे-बैठे हुए वर्तुल में झूलो , घूमो . वर्तुल को छोट से छोटा किये जाओ-- इतना छोटा कि तुम्हारा शरीर दृश्य रूप से झूलता हुआ न लगे , लेकिन भीतर एक सूक्ष्म गति होती रहे . आँख बंद कर लो , और बड़े वर्तुल से शुरू करो . आंख बंद कर लो , अन्यथा जब शरीर रुक जायेगा तब तुम भी रुक जाओगे . आँख बंद करके बड़े वर्तुल बनाओ , बैठे-बैठे वर्तुलाकार झूलो . फिर झूलते हुए वर्तुल को छोटा , और छोटा किये चलो . दृश्य रूप से तुम रुक जाओगे ; किसी को नहीं मालूम होगा कि तुम अब भी हिल रहे हो . लेकिन अपने भीतर तुम एक सूक्ष्म गति अनुभव करते रहोगे . अब शरीर नहीं चल रहा है , केवल मन चल रहा है . उसे भी मंद से मन्दतर किये चलो और अनुभव करो ; वहीं केंद्रित हो जाओगे . किसी वाहन में , किसी चलते वाहन में एक अप्रतिरोधी और लयबद्ध गति तुम्हें केंद्रित कर देगी .
लयबद्ध ढंग से झूलो . इस बात को समझो , बहुत बारीक बात है . जब भी तुम किसी बैलगाडी या किसी वाहन में चलते हो तो तुम प्रतिरोध करते होते हो . बैलगाड़ी बाईं तरफ झुकती है , लेकिन तुम उसका प्रतिरोध करते हो ; तुम संतुलन रखने के लिए दाईं तरफ झुक जाते हो , अन्यथा तुम गिर जाओगे . इसलिए तुम निरंतर प्रतिरोध कर रहे हो . बैलगाड़ी में बैठे-बैठे तुम बैलगाड़ी के हिलने-डुलने से लड़ रहे हो . वह इधर जाती है तो तुम उधर जाते हो . यही वजह है कि रेलगाड़ी में बैठे-बैठे तुम थक जाते हो . तुम कुछ करते नहीं हो तो थक क्योंजाते हो ? अनजाने ही तुम बहुत कुछ कर रहे हो . तुम निरंतर रेलगाड़ी से लड़ रहे हो , प्रतिरोध कर रहे हो . प्रतिरोध मत करो , यह पहली बात है . अगर तुम इस विधि को प्रयोग में लाना चाहते हो तो प्रतिरोध छोड़ दो . बल्कि गाड़ी की गति के साथ-साथ गति करो , उसकी गति के साथ-साथ झूलो . बैलगाड़ी का अंग बन जाओ , प्रतिरोध मत करो . रास्ते पर बैलगाड़ी जो भी करे , तुम उसके अंग बन कर रहो . इसी कारण यात्रा में बच्चे कभी नहीं थकते हैं . " किसी चलते वाहन में लयबद्ध झूलने के द्वारा , अनुभव को प्राप्त हो... " सूत्र कहता है कि तुम्हें अनुभव प्राप्त हो जायगा . " या किसी अचल वाहन में ..." यह मत पूंछो कि बैलगाड़ी कहाँ मिलेगी ! अपने को धोखा मत दो . क्योंकि यह सूत्र कहता है : "या किसी अचल वाहन में अपने मंद को मन्दतर होते अदृश्य वर्तुलों में झूलने देने से भी ." यहीं बैठे-बैठे हुए वर्तुल में झूलो , घूमो . वर्तुल को छोट से छोटा किये जाओ-- इतना छोटा कि तुम्हारा शरीर दृश्य रूप से झूलता हुआ न लगे , लेकिन भीतर एक सूक्ष्म गति होती रहे . आँख बंद कर लो , और बड़े वर्तुल से शुरू करो . आंख बंद कर लो , अन्यथा जब शरीर रुक जायेगा तब तुम भी रुक जाओगे . आँख बंद करके बड़े वर्तुल बनाओ , बैठे-बैठे वर्तुलाकार झूलो . फिर झूलते हुए वर्तुल को छोटा , और छोटा किये चलो . दृश्य रूप से तुम रुक जाओगे ; किसी को नहीं मालूम होगा कि तुम अब भी हिल रहे हो . लेकिन अपने भीतर तुम एक सूक्ष्म गति अनुभव करते रहोगे . अब शरीर नहीं चल रहा है , केवल मन चल रहा है . उसे भी मंद से मन्दतर किये चलो और अनुभव करो ; वहीं केंद्रित हो जाओगे . किसी वाहन में , किसी चलते वाहन में एक अप्रतिरोधी और लयबद्ध गति तुम्हें केंद्रित कर देगी .
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