विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 47
["अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो , और उस ध्वनि के द्वारा सभी ध्वनियों में ."]
मन्त्र की तरह तुम्हारे नाम का उपयोग बहुत आसानी से किया जा सकता है . यह बहुत सहयोगी होगा , क्योंकि तुम्हारा नाम तुम्हारे अचेतन में बहुत गहरे उतर चुका है . दूसरी कोई भी चीज अचेतन की उस गहराई को नही छूती है . यह विधि कहती है : "अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो , और उस ध्वनि के द्वारा सभी ध्वनियों में ." तुम अगर अपने भीतर अपने नाम का जाप तेजी से करो तो वह शब्द न रहकर ध्वनि में बदल जाएगा . तब वह एक अर्थहीन ध्वनि होगी . और तब राम और मरा में कोई भेद नहीं रहेगा . राम कहो या मरा , कोई फर्क नहीं पड़ता . वे अब शब्द नहीं रहे , वे बस ध्वनि हैं . और ध्वनि असली चीज है . तो अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो , उसके अर्थ को भूल जाओ ; सिर्फ ध्वनि में प्रवेश करो . अर्थ मन की चीज है , ध्वनि शरीर की चीज है . अर्थ सिर में रहता है , ध्वनि सारे शरीर में फ़ैल जाती है . अर्थ को भूल ही जाओ , उसे एक अर्थहीन ध्वनि की तरह जपो . और उस ध्वनि के जरिये तुम सभी ध्वनियों में प्रवेश पा जाओगे . यह ध्वनि सब ध्वनियों के लिए द्वार बन जायेगी . सब ध्वनियों का अर्थ है जो सब है--सारा अस्तित्त्व.
मन्त्र की तरह तुम्हारे नाम का उपयोग बहुत आसानी से किया जा सकता है . यह बहुत सहयोगी होगा , क्योंकि तुम्हारा नाम तुम्हारे अचेतन में बहुत गहरे उतर चुका है . दूसरी कोई भी चीज अचेतन की उस गहराई को नही छूती है . यह विधि कहती है : "अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो , और उस ध्वनि के द्वारा सभी ध्वनियों में ." तुम अगर अपने भीतर अपने नाम का जाप तेजी से करो तो वह शब्द न रहकर ध्वनि में बदल जाएगा . तब वह एक अर्थहीन ध्वनि होगी . और तब राम और मरा में कोई भेद नहीं रहेगा . राम कहो या मरा , कोई फर्क नहीं पड़ता . वे अब शब्द नहीं रहे , वे बस ध्वनि हैं . और ध्वनि असली चीज है . तो अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो , उसके अर्थ को भूल जाओ ; सिर्फ ध्वनि में प्रवेश करो . अर्थ मन की चीज है , ध्वनि शरीर की चीज है . अर्थ सिर में रहता है , ध्वनि सारे शरीर में फ़ैल जाती है . अर्थ को भूल ही जाओ , उसे एक अर्थहीन ध्वनि की तरह जपो . और उस ध्वनि के जरिये तुम सभी ध्वनियों में प्रवेश पा जाओगे . यह ध्वनि सब ध्वनियों के लिए द्वार बन जायेगी . सब ध्वनियों का अर्थ है जो सब है--सारा अस्तित्त्व.
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