विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 55
["जब नींद अभी नहीं आयी हो और बाह्य जागरण विदा हो गया हो , उस मध्य बिंदु पर बोधपूर्ण रहने से आत्मा प्रकाशित होती है "]
नींद में उतरने के पहले विश्रामपूर्ण होओ और आंखें बंद कर लो . कमरे में अँधेरा कर लो . आंखें बंद कर लो और बस प्रतीक्षा करो . नींद आ रही है ; बस प्रतीक्षा करो . कुछ मत करो , बस प्रतीक्षा करो . तुम्हारा शरीर शिथिल हो रहा है , तुम्हारा शरीर भारी हो रहा है . बस शिथिलता को , भारीपन को महसूस करो . नींद की अपनी ही व्यवस्था है , वह काम करने लगती है . तुम्हारी जाग्रत चेतना विलीन हो रही है . इसे स्मरण रखो , क्योंकि यह क्षण बहुत सूक्ष्म होगा , यह क्षण परमाणु से छोटा होगा . इसे चूक गए तो चूक गए . यह कोई बड़ा अंतराल नहीं है , बहुत छोटा है . यह क्षणभर का अंतराल है , जिसमें तुम जागरण से नींद में प्रवेश कर जाते हो . तो बस पूरी सजगता से प्रतीक्षा करो . प्रतीक्षा किये जाओ .
इसमें थोड़ा समय लगेगा . कम से कम तीन महीने लगते हैं . तब एक दिन तुम्हें उस क्षण की झलक मिलेगी जो ठीक बीच में है . तो जल्दी मत करो . यह अभी ही नहीं होगा , यह आज रात ही नहीं होगा . लेकिन तुम्हें शुरू करना है और महीनों प्रतीक्षा करनी है . साधारणतः तीन महीने में किसी दिन यह घटित होगा . यह रोज ही घटित हो रहा है , लेकिन तुम्हारी सजगता और अंतराल का मिलन आयोजित नहीं किया जा सकता . वह घटित हो ही रहा है . तुम प्रतीक्षा किये जाओ और किसी दिन वह घटित होगा . किसी दिन तुम्हें अचानक यह बोध होगा कि मैं जागा हूं और सोया हूं . यह एक बहुत विचित्र अनुभव है , तुम उससे भयभीत भी हो सकते हो . अब तक तुमने दो ही अवस्थाएं जानी है , तुम्हें अपने जागने का पता है और तुम्हें अपनी नींद का पता है . लेकिन तुम्हें यह नहीं पता है कि तुम्हारे भीतर एक तीसरा बिंदु भी है जब तुम न जागे हो और न सोये हो .इस बिंदु के प्रथम दर्शन से तुम भयभीत भी हो सकते हो , आतंकित भी हो सकते हो . भयभीत मत होओ , आतंकित मत होओ . जो भी चीज इतनी नयी होगी , अनजानी होगी , वह जरूर भयभीत करेगी . क्योंकि यह क्षण , जब तुम्हें इसका बार-बार अनुभव होगा , तुम्हें एक और एहसास देगा कि तुम न जीवित हो और न मृत , कि तुम न यह हो और न वह .
नींद में उतरने के पहले विश्रामपूर्ण होओ और आंखें बंद कर लो . कमरे में अँधेरा कर लो . आंखें बंद कर लो और बस प्रतीक्षा करो . नींद आ रही है ; बस प्रतीक्षा करो . कुछ मत करो , बस प्रतीक्षा करो . तुम्हारा शरीर शिथिल हो रहा है , तुम्हारा शरीर भारी हो रहा है . बस शिथिलता को , भारीपन को महसूस करो . नींद की अपनी ही व्यवस्था है , वह काम करने लगती है . तुम्हारी जाग्रत चेतना विलीन हो रही है . इसे स्मरण रखो , क्योंकि यह क्षण बहुत सूक्ष्म होगा , यह क्षण परमाणु से छोटा होगा . इसे चूक गए तो चूक गए . यह कोई बड़ा अंतराल नहीं है , बहुत छोटा है . यह क्षणभर का अंतराल है , जिसमें तुम जागरण से नींद में प्रवेश कर जाते हो . तो बस पूरी सजगता से प्रतीक्षा करो . प्रतीक्षा किये जाओ .
इसमें थोड़ा समय लगेगा . कम से कम तीन महीने लगते हैं . तब एक दिन तुम्हें उस क्षण की झलक मिलेगी जो ठीक बीच में है . तो जल्दी मत करो . यह अभी ही नहीं होगा , यह आज रात ही नहीं होगा . लेकिन तुम्हें शुरू करना है और महीनों प्रतीक्षा करनी है . साधारणतः तीन महीने में किसी दिन यह घटित होगा . यह रोज ही घटित हो रहा है , लेकिन तुम्हारी सजगता और अंतराल का मिलन आयोजित नहीं किया जा सकता . वह घटित हो ही रहा है . तुम प्रतीक्षा किये जाओ और किसी दिन वह घटित होगा . किसी दिन तुम्हें अचानक यह बोध होगा कि मैं जागा हूं और सोया हूं . यह एक बहुत विचित्र अनुभव है , तुम उससे भयभीत भी हो सकते हो . अब तक तुमने दो ही अवस्थाएं जानी है , तुम्हें अपने जागने का पता है और तुम्हें अपनी नींद का पता है . लेकिन तुम्हें यह नहीं पता है कि तुम्हारे भीतर एक तीसरा बिंदु भी है जब तुम न जागे हो और न सोये हो .इस बिंदु के प्रथम दर्शन से तुम भयभीत भी हो सकते हो , आतंकित भी हो सकते हो . भयभीत मत होओ , आतंकित मत होओ . जो भी चीज इतनी नयी होगी , अनजानी होगी , वह जरूर भयभीत करेगी . क्योंकि यह क्षण , जब तुम्हें इसका बार-बार अनुभव होगा , तुम्हें एक और एहसास देगा कि तुम न जीवित हो और न मृत , कि तुम न यह हो और न वह .
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