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    Osho Hindi Pdf- Tamso Ma Jyotirgamya तमसो मा ज्योतिर्गमया

    Osho Hindi Pdf- Tamso Ma Jyotirgamya

    तमसो मा ज्योतिर्गमया

    तमसो मा ज्योतिर्गमय परम का विज्ञान सूरज डूबता है, और हम मान लेते हैं कि रात आ गई। वह मानना बड़ा झूठा है। ए क रात तो बाहर है, जो मिट जाती है, लेकिन एक रात भीतर भी है, जो किसी सूर ज के उगने से कभी नहीं मिटती। रात के अंधेरे में हम दिया जला लेते हैं और सोच ते हैं, प्रकाश हो गया, लेकिन अंधेरा ऐसा भी है, जहां हम कभी कोई दिया नहीं जल ते और जहां कभी भी प्रकाश नहीं पहुंचता। लेकिन शायद उस अंधेरे का भी हमें को ई पता नहीं है। और जब तक उस अंधेरे का पता न हो, तब तक प्रकाश की आकांक्ष भी कैसे पैदा हो सकती है?

    उपनिषदों के किसी ऋषि ने गाया है, परमात्मा से प्रार्थना वी है कि मुझे मृत्यु से अ मृत वी ओर ले चल, अंधेरे से प्रकाश वी ओर ले चल। यह प्रार्थना हमने सुनी है औ र यह भी हो सकता है, यह प्रार्थना किन्हीं क्षणों में हमने भीवी हो। लेकिन जिन्हें य ह भी पता न हो कि किस अंधेरे को मिटाना है, उनवी, प्रकाश के लिए वी गई प्रार्थ ना का क्या अर्थ हो सकता है? हम एकही अंधेरे से परिचित हैं, जिसे मिटाने के लिए किसी परमात्मा की कोई जरू रत नहीं है, आदी कापी है। वह अंधेरा हमारे पास है। हमारे भीतर भी कोई अंधेरा है, जिसका हमें पता नहीं। और जिस दिन भीतर के अंधेरे का पता चल जाए, उस दिन रो-रोआं, श्वांस-श्वांस एक ही प्रार्थना करने लगती है कि कैसे अंधेरे के बाहर जाऊं। सुना है मैंने, एक फकीर था शेख फरीद। सुबह-सुबह स्नान करने नटी वी तरफ जाता है। रास्ते में एक आदी मिला और उसने पूछा, ईश्वर है? ईश्वर कहां है? ईश्वर कैसा है? 

    फरीद ने कहा, मैं स्नान करने जाता हूं। अच्छा हो कि तुम भी मेरे साथ चलो। हो स कता है, स्नान करने में तुझे जवाब भी दे दूं। उस आदमी ने सोचा, स्नान करने से ईश्वर के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब के से मिलेगा? लेकिन जानने के लिए फवीर के साथ हो लिया। वे नदी पर पहुंचे। फरीद स्नान करने लगा। वह आदमी भी स्नान करने लगा। उस आ दी ने एक इववी ही है और फरीद ने उस आदमी वी गर्दन पानी के भीतर पकड़ ही। फरीद मजबूत आदमी थे। वह जिज्ञासू वरी मुश्किल में पड़ गया। उसके प्राण एक ही आकांक्षा कर रहे हैं कैसे वाहर निकल जाऊं, श्वांस कैसे ले लूं, कैसे बाहर निकलूं? सारा-रोआं-रोआं तड़फने लगा है।

    फरीद मजबूत आदमी है, वह उसे पानी में दबाए चला गया है। बड़ी मुश्किल से-वही मुश्किल से वह आदमी छूट पाया है। वह बाहर निकला है, तो फनीद पर टूट पड़ा है , कहा है कि मैंने पूछा था, ईश्वर कहां है? और तुम मेरे प्राण लिए लेते हो? मैंने............

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