विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 49
["ऐसे काम-आलिंगन में जब तुम्हारी इन्द्रियां पत्तों की भांति कांपने लगें , उस कंपन में प्रवेश करो ."]
जब प्रेमिका या प्रेमी के साथ ऐसे आलिंगन में , ऐसे प्रगाढ़ मिलन में तुम्हारी इन्द्रियां पत्तों की तरह कांपने लगें ,उस कंपन में प्रवेश कर जाओ . मानो तूफ़ान चल रहा है और वृक्ष काँप रहे हैं . उनकी जड़े तक हलने लगती हैं , पत्ता-पत्ता कांपने लगता है . यही हालत संभोग में होती है . कामवासना भारी तूफ़ान है . तुम्हारे आर-पार एक भारी ऊर्जा प्रवाहित हो रही है . कंपो ! तरंगायित होओ ! अपने शरीर के अणु-अणु को नाचनेदो ! और इस नृत्य में दोनों के शरीरों को भाग लेना चाहिए .प्रेमिका को भी नृत्य में सम्मिलित करो . अणु-अणु को नाचने दो . तभी तुम दोनों का सच्चा मिलन होगा . ओर वह मिलन मानसिक नहीं होगा , वह जैविक ऊर्जा का मिलन होगा .
जब प्रेमिका या प्रेमी के साथ ऐसे आलिंगन में , ऐसे प्रगाढ़ मिलन में तुम्हारी इन्द्रियां पत्तों की तरह कांपने लगें ,उस कंपन में प्रवेश कर जाओ . मानो तूफ़ान चल रहा है और वृक्ष काँप रहे हैं . उनकी जड़े तक हलने लगती हैं , पत्ता-पत्ता कांपने लगता है . यही हालत संभोग में होती है . कामवासना भारी तूफ़ान है . तुम्हारे आर-पार एक भारी ऊर्जा प्रवाहित हो रही है . कंपो ! तरंगायित होओ ! अपने शरीर के अणु-अणु को नाचनेदो ! और इस नृत्य में दोनों के शरीरों को भाग लेना चाहिए .प्रेमिका को भी नृत्य में सम्मिलित करो . अणु-अणु को नाचने दो . तभी तुम दोनों का सच्चा मिलन होगा . ओर वह मिलन मानसिक नहीं होगा , वह जैविक ऊर्जा का मिलन होगा .
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