विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 99
[ " स्वयं को सभी दिशाओं में परिव्याप्त होता हुआ महसूस करो -- सुदूर , समीप . " ]
सभी अपनी-अपनी तरह से अपने आस-पास महल बना रहे हैं , ताकि भीतर कोई न आ सके और वे शान्ति से रह सकें . लेकिन फिर तुम पहले ही मर गए . ओर शान्ति बस उन्हें ही घटित होती है जो जीवित हैं . शान्ति कोई मुर्दा चीज नहीं है . जीवंत रहो , खतरे में जीओ , एक संवेदनशील , मुक्त जीवन जीओ , ताकि तुम्हें सब कुछ स्पर्श कर सके . और अपने साथ सब कुछ होने दो . जितना तुम्हारे साथ कुछ घटेगा , उतने ही तुम समृद्ध होओगे . फिर तुम इस विधि का अभ्यास कर सकते हो . फिर यह विधि बड़ी सरल है , तुम्हें इसका अभ्यास करने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी . बस भाव करो , और तुम पूरे आकाश में परिव्याप्त हो जाओगे .
सभी अपनी-अपनी तरह से अपने आस-पास महल बना रहे हैं , ताकि भीतर कोई न आ सके और वे शान्ति से रह सकें . लेकिन फिर तुम पहले ही मर गए . ओर शान्ति बस उन्हें ही घटित होती है जो जीवित हैं . शान्ति कोई मुर्दा चीज नहीं है . जीवंत रहो , खतरे में जीओ , एक संवेदनशील , मुक्त जीवन जीओ , ताकि तुम्हें सब कुछ स्पर्श कर सके . और अपने साथ सब कुछ होने दो . जितना तुम्हारे साथ कुछ घटेगा , उतने ही तुम समृद्ध होओगे . फिर तुम इस विधि का अभ्यास कर सकते हो . फिर यह विधि बड़ी सरल है , तुम्हें इसका अभ्यास करने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी . बस भाव करो , और तुम पूरे आकाश में परिव्याप्त हो जाओगे .
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