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    Osho Hindi Pdf- Aath Pahar Youn Jhumte आठ पहर यूं झूमते

    Osho Hindi Pdf-  Aath Pahar Youn Jhumte आठ पहर यूं झूमते

    आठ पहर यूं झूमते

    सत्य वी झलक मेरे प्रिय आत्मन, एक राजकुमार था बचपन से ही सुन रहा था कि पृथ्टी पर एक ऐसा नगर भी है ज हां कि सभी लोग धार्मिक हैं। बहुत बार उस धर्म नगर वी चर्चा, बहुत बार उस ध म नगर की प्रशंसा उसके कानों में पड़ी थी। जब वह युवा हुआ और राजगद्दी का म लिक बना तो सबसे पहला काम उसने यही किया कि कुछ मित्रों को लेकर, यह उ स धर्म नगरी की खोज में निकल पड़ा। उसकी बड़ी आकांक्षा थी, उस नगर को देख
    लेने वी, जहां कि सभी लोग धार्मिक हों। बड़ा असंभव मालूम पड़ता था यह बहुत दिन वी खोज, बहुत दिन बी यात्रा के बाद, वह एक नगर में पहुंचा, जो बड़ा अनू ठा था। 

    नगर में प्रवेश करते ही उसे दिखारी पड़े ऐसे लोग, जिन्हें देखकर वह चकि त हो गया और उसे विश्वास भी न आया कि ऐसे लोग भी कहीं हो सकते हैं। उस नगर का एक खास नियम था, उसके ही परिणाम स्वरूप यह सारे लोग अपंग हो ग ए हैं। देखो, द्वार पर लिखा है, कि अगर तेरा बांया हाथ पाप करने को संलग्न हो तो उचित है कि तू अपना बाया हाथ काट देना, बजाय कि पाप करे। देखो, लिखा है, द्वार पर कि अगर तेनी एक आंख तुझे गलत मार्ग पर ले जाए तो अच्छा है कि उसे तू निकाल फेंकना, बजाय इसके कि तू गलत रास्ते पर जाए। इन्हीं वचनों का पालन करके यह गांव अपंग हो गया है। छोटे-छोटे बच्चे, जो अभी द्वार पर लिखे इ न अक्षरों को नहीं पढ़ सकते हैं, उन्हें छोड़ दें तो इस नगर में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो धर्म का पालन करता हो और अपंग न हो गया हो। वह राजकुमार उस द्वार के भीतर प्रविष्ट नहीं हुआ, क्योंकि वह छोटा बच्चा नहीं थ और द्वार पर लिखे अक्षरों को पढ़ सकता था। 

    उसने घोड़े वापस कर लिए और उ सने अपने मित्रों को कहा, हम वापस लौट चलें, अपने अधर्म के नगरों को, कम से कम आदमी वहां पूरा तो है! इस कहानी से इसलिए मैं अपनी बात शुरू करना चाहता हूं कि सारी जमीन पर ध मों के तथाकथित रूप ने आदमी को अपंग किया है। उसके जीवन को स्वस्थ और पू र्ण नहीं बनाया बल्कि उसके जीवन को खंडित, उसके जीवन को अवस्था, पंगु और कुंठित किया है। उसके परिणाम स्वरूप सारी दुनिया में, जिनके भीतर भी थोड़ा विचार है, जिनके भीतर भी थोड़ा विवेक है, जो थोड़ा सोचते हैं और समझते हैं, उन ___ सब के मन में धर्म के प्रति एक विद्रोह वी तीव्र भावना पैदा हुई है। यह स्वाभाविक भी है कि यह भावना पैदा हो। क्योंकि धर्म ने, तथाकथित धर्म ने जो कुछ किया __ है, उससे मनुष्य आनंद को तो उपलब्ध नहीं हुआ, वरन उदास, और चिंतित और दुखी हो गया है। निश्चित ही, मेरे देखे, मनुष्य को कंठित और पंग करने वाले धर्म को धर्म नहीं कह ता हूं। मैं तो यही कहता हूं कि अभी तक धर्म का जन्म नहीं हो सका है। धर्म के नाम से जो कुछ प्रचलित है, धर्म के नाम से जो मंदिर और मस्जिद और ग्रंथ और शास्त्र गुरु है, धर्म के नाम पर पृथ्टी पर जो इतनी दुकानें है, उन सबसे धर्म का को...............................................



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