Osho Hindi Pdf- Anand Ganga आनंद गंगा
आनंद गंगा
1.जिज्ञासा का लोक. एक अंधेरी रात में एक युवक ने एक साधु से पूछा कि क्या आप मुझे सहारा न देंगे अपने गन्तव्य पर पहुंचने में? गुरु ने एक दीया जलाया और उसे साथ लेकर चला।
और जब वे आश्रम का द्वार पार कर चुके तो साधु ने कहा-अब मैं अलग हो जाता हूं। कोई किसी का साथ नहीं
कर सकता है और अच्छा है कि तुम साथ के आदी हो जाओ, मैं इसके पहले विदा हो जाऊं। इतना कह कर उस घनी रात में, अंधेरी रात में, उ सने उसके हाथ के दीये को भी फूंक कर बुझा दिया। वह युवक बोला-यह क्या पाग लपन हुआ? अभी तो आश्रम के हम बहार भी नहीं निकल पाये, साथ भी छोड़ दिया और दीया भी बुझा दिया। उस साधु ने कहा-दूसरों के जलाये हु ए दीये का कोई मूल्य नहीं है। अपना ही दीया हो तो अंधेरे में काम देता है, किसी
दूसरे के दीये काम नहीं देते।
खुद के भीतर से प्रकाश निकले तो ही रास्ता प्रकाशि त होता है और कैसी तरह रास्ता प्रकाशित नहीं होता। तो मैं निरंतर सोचता हूं, लोग सोचते होंगे कि मैं आपके हाथ में कोई रीया दे दूंगा , जिससे आपका रास्ता प्रकाशित हो जायेगा तो आप गलती में हैं। आपके हाथ में दीया होगा तो मैं उसे बड़ी निर्ममता से फूंक कर बुझा सकता हूं। मेरी मंशा और मे रा इरादा यही है कि आपके हाथ में, अगर कोई दूसरे का दिया हुआ प्रकाश हो तो मैं उसे फूंक दूं, उसे बुझा दूं। आप अंधेरे में अकेले छूट जाएं, कोई आपका संरी-स शी हो तो उसे भी हीन लूं। और तभी, जब आपके पास दूसरों का जलाया हुआ प्र काश न रह जाए और दूसरों का साथ न रह जाए, तब आप जिस रास्ते पर चलते हैं, उस रास्ते पर परमात्मा आपके साथ हो जात है और आपकी आत्मा के दीये के जलने की संभावना हो जाती है। सानी जमीन पर ऐसा हुआ है, सत्य वी तो बहुत खोज है, परमात्मा वी बहुत चर्चा है।
लेकिन-लेकिन ये सारे कमजोर लोग कर रहे हैं, ये साथ छोड़ने को राजी नहीं है, न दीया बुझाने को राजी हैं। अंधेरे में जो अ केले चलने का साहस करता है, बिना प्रकाश के, उसके भीतर साहस का प्रकाश पैद | होना शुरू हो जाता है और जो सहारा खोजता है, वह निरंतर कमजोर होता चल | जाता है। भगवान को आप सहारा ने समझें। और जो लोग भगवान को सहारा समझते होंगे वे गलती में हैं, उन्हें भगवान का सहारा उपलब्ध नहीं हो सकेगा। कमजोरों के लिए जगत में कुछ भी उपलब्ध नहीं होता। और जो शक्तिहीन हैं और जिनमें साहस वी करी है, धर्म उनका रास्ता नहीं है। दीखता उलटा है। दिखाता यह है कि जितने कमजोर हैं, जितने साहस हीन हैं, वे सभी धार्मिक होते हुए दिखा टी पड़ते हैं। कमजोरों को, साहस हीनों को, जिनकी मृत्यु करीब आ रही हो, उनक ो घबराहट में, भय में धर्म ही मार्ग मालूम होता है। इसलिए धर्म के आस-पास कम जोर और साहस हीन लोग इकट्ठे हो जाते हैं, जबकि बात उलटी है। धर्म तो उनके लिए है, जिनके भीतर साहस हो, जिनके भीतर शक्ति हो, जिनके भीतर ......
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