Osho Hindi Pdf- Jeevan Sangeet जीवन संगीत
जीवन संगीत
जीवन संगीत
पहला प्रवचन
मेरे प्रिय आत्मन्!
अंधकार का अपना आनंद है, लेकिन प्रकाश की हमारी चाह क्यों? प्रकाश के लिए हम इतने पीड़ित क्यों? यह शायद ही आपने सोचा हो कि प्रकाश के लिए हमारी चाह हमारे भीतर बैठे हुए भय का प्रतीक है। फियर का प्रतीक है। हम प्रकाश इसलिए चाहते हैं, ताकि हम निर्भय हो सकें। अंधकार में मन भयभीत हो जाता है। प्रकाश की चाह कोई बहुत बड़ा गुण नहीं। सिर्फ अंतरात्मा में छाए हुए भय का सबूत है। भयभीत आदमी प्रकाश चाहता है। और जो अभय है, उसे अंधकार भी अंधकार नहीं रह जाता। अंधकार की जो पीड़ा है, जो द्वंद्व है, वह भय के कारण है। और जिस दिन मनुष्य निर्भय हो जाएगा, उस दिन प्रकाश की यह चाह भी विलीन हो जाएगी।
और यह भी ध्यान रहे कि पृथ्वी पर बहुत थोड़े से ऐसे कुछ लोग हुए हैं, जिन्होंने परमात्मा को अंधकार स्वरूप भी कहने की हिम्मत की। अधिक लोगों ने तो परमात्मा को प्रकाश माना। गॉड इज़ लाइट, परमात्मा प्रकाश है। ऐसा ही कहने वाले लोग हुए हैं। लेकिन हो सकता है, ये वे ही लोग हों जिन्होंने परमात्मा को भय के कारण माना हुआ है। जिन लोगों ने भी परमात्मा प्रकाश है, ऐसी व्याख्या की है--ये जरूर भयभीत लोग होंगे। ये परमात्मा को प्रकाश के रूप में ही स्वीकार कर सकते हैं। डरा हआ आदमी अंधकार को स्वीकार नहीं कर सकता।
लेकिन कुछ थोड़े से लोगों ने यह भी कहा है कि परमात्मा परम अंधकार है। मैं खुद सोचता हूं, तो परमात्मा को परम अंधकार के रूप में ही पाता हूं। क्यों? क्योंकि प्रकाश की सीमा है, अंधकार असीम है। प्रकाश की कितनी ही कल्पना करें उसकी सीमा मिल जाएगी। कैसा ही सोचें, कितना ही दूर तक सोचें, पाएंगे कि प्रकाश सीमित है। अंधकार की सोचें, अंधकार कहां सीमित है? अंधकार की सीमा को कल्पना करना भी मुश्किल है। अंधकार की कोई सीमा नहीं, अंधकार असीम है। इसलिए भी कि प्रकाश एक उत्तेजना है, एक तनाव है। अंधकार एक शांति है, विश्राम है। लेकिन चूंकि हम सब भयभीत लोग हैं, डरे हुए लोग हैं। हम जीवन को प्रकाश कहते हैं, मृत्यु को अंधकार कहते हैं। सच यह है कि जीवन एक तनाव है और मृत्यु एक विश्राम है। दिन एक बेचैनी है, रात एक विराम है। हमारी जो भाग-दौड़ है अनंत-अनंत जन्मों की, उसे अगर कोई प्रकाश कहे तो ठीक भी है, लेकिन जो परम मोक्ष है, वह तो अंधकार ही होगा।
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