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    Osho Hindi Pdf- Santo Magan Bhaya संतो मगन भया मन मेरा

    Osho Hindi Pdf- Santo Magan Bhaya

    संतो मगन भया मन मेरा

    प्रवेश से पूर्व '. . . 
    एक और मित्र ने पूछा है। उन्होंने पूछा है कि अतीत में तो कोई बुद्धपुरुष दूस रे बुद्धपुरुषों के वचनों पर नहीं बोला। उनवी तुम उनसे पूछ लेना, मेरे लिए तो कोई दूसरा नहीं है। जब बुद्ध पर बोलता हूँ तो बुद्ध ही हो जाता हूँ। अभी रज्जब पर बोल रहा हूँ तो रज्जब ही हो गया हूँ। मेरे लिए कोई दूसरा नहीं है। वे क्यों नहीं बोले दूसरों पर, तुम्हारा की उनसे मिलना ह ो जाए उनसे पूछ लेना। मैं क्यों बोल रहा हूँ, इसका उत्तर तुम्हें दे सकता हूँ। मेरे लिए कोई दूसरा नहीं है। बुद्धत्व का स्वाद एक है। जैसे सब सागर नमवीन हैं, ऐ से बुद्धत्व का स्वाद एक है। बाहर से चखो तो प्रेम, भीतर से चखो तो ध्यान। अपने भीतर जाकर उतरकर चखो तो ध्यान उसका स्वाद है और अपने बाहर किसी को वाँ ट दो तो प्रेम उसका स्वाद है। 

    एक पहलू सिक्के का प्रेम है, एक पहलू ध्यान है। कुछ बुद्धों ने एक पहलू को जोर दिया, कुछ बुद्धों ने दूसरे पहलू को जोर दिया। क्योंकि ए क को पा लेने से दूसरा अपने-आप मिल जाता है। बुद्ध ने कहा ध्यान पा लो, ऐम अ पने से उपलब्ध होता है। और मीरा ने कहा प्रेम पा लो, ध्यान अपने से उपलब्ध होता है। तुम एक पा लो दूसरा अपने से मिल जाता है। में तुम्हें याद दिला रहा हूँ कि चा हो तो तुम दोनों भी एकसाथ पा लो। जो तुम्हानी मर्जी हो, एक से चलना है एक से चलो, दूसरा मिल जाएगा, दोनों को एकसाथ पाना हो तो दोनों को एकसाथ पा लो। मेरे लिए कोई दूसरा नहीं है। मुझे न तो बुद्धों में कुछ फर्क है, और न बुद्धों और अ बुद्धों में कुछ फर्क है। मेरी दृष्टि में कोई फर्क नहीं है। सबका स्टीकार है, सबका अंग कार है। और ऐसा सर्व-स्वीकार तुम्हारे भीतर जगे, यह मेनी चेष्टा है। सारा अतीत अपने भीतर समा लेने जैसा है| सारा अतीत तुम्हारा है। और ध्यान रख ना, मैं परंपरावादी नहीं हूँ। मैं नहीं चाहता कि तुम अतीत से बँधे रहो। मगर में यह भी नहीं चाहता कि तुम अतीत के शत्रु हो जाओ। मैं चाहता हूँ, अतीत को तुम अप ने में समा लो और अतीत से आगे बढ़ो। जितना हो चुका है, वह तुम्हारा है, और व हुत कुछ होना है। 

    अतीत पर रुकना मत। मैं तुमसे कहता हूँ, रीछे जो हुआ है वह भहीक है, आगे और कीटीक होने को है। तुम पीछे को भी सँभाल लो, पीछे की संप दा को भी सँभालो अपने में, तुम ज्यादा समृद्ध हो जाओगे| और उसी समृद्धि वी बुनि याद पर भविष्य के महल खड़े होंगे और भविष्य के मंदिर उठेंगे। जो अतीत में जाना गया है उससे बहुत कुछ ज्यादा भविष्य में जाना जा सकेगा। क्योकि अतीत के कंधे प र हम खड़े हो सकते हैं। इसलिए बोल रहा हूँ कहीर पर भी, क्राइस्ट पर भी, कृष्ण प र की ताकि तुम इन कंधों का सहारा ले लो; ताकि तुम इन सब कंधों पर खड़े हो ज
    ओ, तुम ऊपर उठो। तुम इन सारे कंधों का उपयोग कर लो, ये तुम्हारी सीढ़ियाँ हैं। तुम इन पर चढ़ते जा ओ, ताकि तुम्हें और दूर और विस्तीर्ण दिखारी पड़ने लगे। पूजा मत करो इनवी, इन को आत्मसात कर लो। तुम पूजा में पड़े हो! पूजा बचने का उपाय है। मैं तुम्हें पूजा । नहीं सिखा रहा हूँ, तुम्हें आत्मसात करने वी प्रक्रिया सिखा रहा हूँ। इसलिए ..............

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