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    ध्यान-अशरीरी-भाव और ब्रह्म-भाव - ओशो

    Meditation-Bodiless-Bhav-and-Brahma-Bhav-Osho


     ध्यान-अशरीरी-भाव और ब्रह्म-भाव - ओशो 

    ध्यान में शरीर-भाव खोएगा। अशरीरी दशा निर्मित होगी। शून्य का अवतरण होगा। इससे भय न लें—वरन प्रसन्न हों, आनंदित हों। क्योंकि यह बड़ी उपलब्धि है। धीरे-धीरे ध्यान के बाहर भी अशरीरी भाव फैलेगा और प्रतिष्ठित होगा। यह आधा काम है। शेष आधे में ब्रह्म-भाव का जन्म होता है। पूर्वार्ध है—अशरीरी-भाव। उत्तरार्ध है—ब्रह्म-भाव। और श्रम में लगें। स्रोत बहुत निकट है। और संकल्प करें। विस्फोट शीघ्र ही होगा। और समर्पण करें। और, स्मरण रखें कि मैं सदा साथ हूं; क्योंकि अब बड़ा निर्जन पथ सामने है। मंजिल के निकट ही मार्ग सर्वाधिक कठिन होता है। सुबह के करीब ही रात और गहरी हो जाती है।

     - ओशो 

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