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    निद्रा में जागरण की विधिः जागृति में जागना - ओशो

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     निद्रा में जागरण की विधिः जागृति में जागना - ओशो 

    जागृति में ही जागें। निद्रा या स्वप्न में जागने का प्रयास न करें। जाग्रत में जागने के परिणाम स्वरूप ही अनायास निद्रा या स्वप्न से भी जागरण उपलब्ध होता है। लेकिन उसके लिए करना कुछ भी नहीं है। कुछ करने से उसमें बाधाएं ही पैदा हो सकती हैं। निद्रा तो जागरण का प्रतिफलन है। जो हम जागते में हैं, वही हम सोते में हैं। यदि हम जागते में ही सोए हुए हैं, तो निद्रा भी निद्रा है। जागते में विचारों का प्रवाह ही सोते में स्वप्नों का जाल है। जागने में जागते ही निद्रा में भी जागरण का प्रतिफलन शुरू हो जाता है। जागते में विचार नहीं तो फिर सोते में स्वप्न भी मिट जाते हैं।

     - ओशो 

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