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    सत्य को शब्दों से समझाया नहीं जा सकता - ओशो

     

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    सत्य को शब्दों से समझाया नहीं जा सकता  - ओशो 


    मैंने सुना है, एक अंधा आदमी अपने एक मित्र के घर मेहमान है, रात बहुत - बहुत भोजन बने हैं, खीर बनी है। उस अंधे आदमी ने अपने मित्रों से पूछा, यह खीर क्या है? यह किस चीज को तुम खीर कहते हो? यह कैसी है? किससे बनी है? मुझे कुछ समझाओ, मुझे बहुत पसंद पड़ी है।

    मित्र समझदार रहे होंगे। दुनिया में नासमझ आदमी तो मुश्किल से ही मिलता है, सभी समझदार हैं। वे भी समझदार थे। उन्होंने उस अंधे आदमी को बताया कि खीर जो है वह दूध से बनी है। उस अंधे आदमी ने कहा कि यह दूध क्या है ? कैसा होता है? क्या है रंग ? क्या है रूप? उन समझदार ने कहा कि दूध बिलकुल शुभ्र, सफेद होता है । उस अंधे आदमी ने कहा, मुझे मुश्किल में डाले दे रहे हो । मेरा पहला प्रश्न वहीं का वहीं खड़ा रहता है, तुम जो जवाब देते हो उससे और नये प्रश्न खड़े हो जाते हैं। यह सफेदी क्या बला है? यह सफेदी क्या है ? यह सफेदी कैसी होती है ? यह शुभ्र किसको कहते हो तुम ?

    समझदार, कम समझदार न थे । एक समझदार आगे बढ़ा और उसने कहा, कभी बगुला देखा है नदी किनारे ? तालाब के तट पर ? झील के पास ? सफेद बगुला ? ठीक बगुले के पंखों जैसा सफेद होता है दूध ! उस अंधे आदमी ने कहा, तुम पहेलियों में उलझाए दे रहे हो। यह बगुला क्या बला है ? और मेरे कहने पर तुम तो अब कितने दूर छूट गए, तुम्हारे जवाब मुझे बहुत आगे ले आया, लेकिन हर बात वहीं की वहीं अटकी हुई है । यह बगुला क्या होता है? कैसा होता है ? कुछ मुझे इस तरह समझाओ कि मैं समझ सकूं।

    एक समझदार आदमी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, उस अंधे आदमी को कहा कि मेरे हाथ पर हाथ फेरो । अंधे आदमी ने हाथ पर हाथ फेरा। यह कोई समझ में आने वाली बात थी? क्योंकि अंधे को स्पर्श अनुभव हुआ। उस समझदार आदमी ने कहा कि जैसे मेरे हाथ पर तुमको सुडौल मालूम होता है, ऐसे ही बगुले की गर्दन सुडौल होती है।

    वह अंधा आदमी खड़े होकर नाचने लगा । उसने कहा, मैं समझ गया कि दूध सुडौल हाथ की तरह होता है । मैं बिलकुल समझ गया। वे सब मित्र कहने लगे, क्षमा करो! क्षमा करो ! इससे तो बेहतर था कि तुम न जानते थे। यह जानना तो और मुश्किल में डाल देगा। नहीं, दूध सुडौल हाथ की तरह नहीं होता। उस अंधे आदमी ने कहा, मुझे क्यों मुश्किल में डालते हो, तुम्हीं ने तो मुझे समझाया। असल बात यह है कि अंधे आदमी को सफेद रंग के संबंध में कुछ भी नहीं समझाया जा सकता। और जो समझाने जाता है वह निपट नासमझ है। अंधे आदमी की आंख का इलाज हो सकता है। सफेद रंग नहीं बताया जा सकता। आंख का इलाज हो जाए तो सफेद दिखाई पड़ सकता है। और कोई उपाय नहीं है।

     - ओशो 

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