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    प्रार्थना ध्यान - ओशो

    Prayer-Meditation-Osho


     प्रार्थना ध्यान - ओशो 

    प्रार्थना एक भाव-दशा है—निसर्ग के साथ बहने की, एक होने की प्रक्रिया है। यदि प्रार्थना में तुम बोलना चाहो तो बोल सकते हो, लेकिन याद रहे कि तुम्हारी बातचीत अस्तित्व को प्रभावित नहीं करने जा रही है, वह तुम्हें प्रभावित करेगी। तुम्हारी प्रार्थना परमात्मा के मन को बदलने वाली नहीं है, वह तुम्हें बेशक बदल सकती है। और अगर वह तुम्हें नहीं बदलती है तो समझो कि वह मन की एक चालाकी भर है। यह विराट आकाश तुम्हारे साथ होगा, यदि तुम उसके साथ हो सको। इसके अतिरिक्त प्रार्थना का कोई दूसरा ढंग नहीं है। मैं प्रार्थना करने को कहता हूं लेकिन यह ऊर्जा आधारित घटना हो, न कि कोई भक्ति की बात।

    पहला चरण 

    तुम चुप हो जाओ, तुम अपने को खोल भर लो। दोनों हाथ सामने की ओर उठा लो। हथेलियां आकाशोन्मुख हों और सिर सीधा उठा हुआ रहे। और तब अनुभव करो कि अस्तित्व तुममें प्रवाहित हो रहा है। । जैसे ही ऊर्जा या प्राण तुम्हारी बांहों से होकर नीचे की ओर बहेगा, वैसे ही तुम्हें हल्के-हल्के कंपन का अनुभव होगा। तब तुम हवा में कंपते हुए पत्ते की भांति हो जाओ। शरीर को ऊर्जा से झनझना जाने दो और जो भी होता हो, उसे होने दो। उसे पूरा सहयोग करो।

    दूसरा चरण

    दो या तीन मिनट के बाद—या जब भी तुम पूरी तरह भरे हुए अनुभव करो, तब तुम आगे झुक जाओ और माथे को पृथ्वी से लगा लो।

    दोनों हाथ सिर के आगे परे फैले रहेंगे और हथेलियां भी पथ्वी को स्पर्श करेंगी।

    पृथ्वी की ऊर्जा के साथ दिव्य-ऊर्जा के मिलन के लिए तुम वाहन बन जाओ। अब पृथ्वी के साथ प्रवाहित होने का, बहने का अनुभव करो। अनुभव करो कि पृथ्वी और स्वर्ग, ऊपर और नीचे, यिन और यांग, पुरुष और नारी—सब एक महा आलिंगन में आबद्ध हैं। तुम बहो, तुम घुलो। अपने को पूरी तरह छोड़ दो और सर्व में निमज्जित हो जाओ।

    दोनों चरणों को छह बार और दुहराओ, ताकि सभी सात चक्रों तक ऊर्जा गति कर सके। __इन्हें अधिक बार भी दुहराया जा सकता है, लेकिन सात से कम पर छोड़ा तो बेचैनी अनुभव होगी—रात में न सो सकोगे।

    अच्छा हो कि यह प्रार्थना रात में करो। प्रार्थना के समय कमरे को अंधेरा कर लो और उसके बाद तुरंत सो जाओ।

    सुबह में भी इसे किया जा सकता है, लेकिन तब अंत में पंद्रह मिनट का विश्राम आवश्यक हो जाएगा। अन्यथा ___ तुम्हें लगेगा कि तुम तंद्रा में हो, नशे में हो। यह ऊर्जा में निमज्जन प्रार्थना है। यह प्रार्थना तुम्हें बदलेगी। और तुम्हारे

    बदलने के साथ ही अस्तित्व भी बदल जाएगा।

    - ओशो 

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