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    चित्त को वर्तमान में ले आना ही ध्यान है - ओशो

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    चित्त को वर्तमान में ले आना ही ध्यान है - ओशो


    चित्त को वर्तमान में ले आना ही ध्यान है, वही मेडिटेशन है, वही समाधि है । और चित्त को वर्तमान से यहां-वहां भटकाए रहना—वही चंचलता है, वही उपद्रव है । और ध्यान में रहे कि हम आखिर हम वर्तमान से चुक क्यों जाते हैं? लोभ चुका देता है, लालच चुका देता है, क्योंकि लोभ हमेशा भविष्य की बातें करता है। लोभ वर्तमान की बात करता ही नहीं, करेगा कैसे? जो भी पाना है वह अभी तो पाया नहीं जा सकता, जो भी पाना है वह कल ही पाया जा सकता है, आगे ही पाया जा सकता है, इसी वक्त पाने का तो कोई उपाय नहीं है, इसलिए लोभ हमेशा भविष्य की भाषा बोलता है।

    लोभ चुका देता है और अहंकार चुका देता है, अहंकार सदा अतीत की भाषा बोलता है— पास्ट, जो पाया, जो मिला, जो किया, जो बनाया वह सब पास्ट में है। अहंकार सदा ही अतीत की भाषा बोलता है कि मैं फलां आदमी का बेटा हूं। क्यों? जो होगा उसका तो पता नहीं है, जो हो चुका है उसी का मैं दावा कर सकता हूं। मेरे पास इतने करोड़ रुपये हैं, होंगे उनका तो दावा नहीं कर सकते आप, जो हो चुका है। मेरी तिजोड़ी इतनी बड़ी और मैं इतनी बड़ी कुर्सी पर रहा हूं, मैं कोई साधारण आदमी नहीं हूं। वह जो समबडी हूं, मैं कुछ हूं, वह हमेशा पास्ट से आता है, वह हमारे अतीत का संग्रह है, जिसको हमने जोड़ कर खड़ा कर लिया है। वह हमारा अहंकार है, अहंकार हमें पीछे ले जाता है, लोभ हमें आगे ले जाता है और गौर से देखें तो लोभ और अहंकार एक ही चीज के दो हिस्से हैं।

    जो लोभ पूरा हो चुका है वह अहंकार बन गया, जो लोभ पूरा होगा वह अहंकार बनेगा। जो लोभ पूरा हो चुका ह अहंकार बन गया, जो लोभ पूरा होगा वह अहंकार बनेगा। जो अहंकार बन गया है वह लोभ है, जिससे आप गुजरे और वह लोभ जो अभी आगे पकड़ रहा है वह भविष्य में बनने वाला अहंकार है, जिससे आप गुजरेंगे।

    समस्त लोभ का संग्रह अहंकार है, वह अतीत में भटकाता है। इसलिए बूढ़ा आदमी होगा तो वह अतीत में भटकता रहेगा, क्योंकि आगे तो मौत है, तो वहां लोभ की गुंजाइश कम है, तो वहां क्या लोभ करिएगा ? तो बूढ़े आदमी का मन हमेशा अतीत में भटकता रहता है, वह बैठा है और सोच रहा है— जवानी जो थी, दिन जो गए, यादें जो हैं भीतर छिपी थीं, वह उनका सोचता रहेगा।

    बूढ़ा आदमी अतीत में सोचता रहेगा, क्योंकि भविष्य में दिखाई पड़ती है मौत। वहां वह देखना भी नहीं चाहता, वह लौट कर पीछे देखता रहता है। बच्चे जवान सदा भविष्य में देखते रहेंगे, अभी उनका अहंकार बना नहीं; बनने की प्रतीक्षा कर रहा है। तो बच्चे और जवान सदा भविष्य में उन्मुख होंगे, फ्यूचर सेंटर्ड होंगे। लोभ अभी बनेगा, बूढ़े आदमी हमेशा पास्ट सेंटर्ड होंगे, बीत गया जो, वे उसी में खोए रहेंगे, उन्हीं स्मृतियों में। क्योंकि बूढ़े ने यात्रा कर ली अहंकार की, बच्चा अभी यात्रा करेगा।

     - ओशो 

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