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    सत्योपलब्धि के मार्ग अनंत हैं - ओशो

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     सत्योपलब्धि के मार्ग अनंत हैं - ओशो 

            सत्योपलब्धि के मार्ग अनंत हैं। और व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसके लिए क्या उपयुक्त है। और इसलिए जो एक के लिए सही है, वही दूसरे के लिए बिलकुल ही गलत हो सकता है। इसीलिए दूसरे के साथ धैर्य की आवश्यकता है। और स्वयं को सबके लिए मापदंड मानना खतरनाक है। मैं अनेकांत या स्यादवाद में इसी सत्य की अभिव्यक्ति देखता हूं। विचार-प्रधान व्यक्ति के लिए जो मार्ग है, वह भाव-प्रधान व्यक्ति के लिए नहीं है। और बहिर्मुखी, एक्सट्रोवर्ट के लिए जो द्वार है, वह अंतर्मुखी, इनट्रोवट के लिए दीवार है। ज्ञान का यात्री अंततः ध्यान की नाव बनाता है। प्रेम का यात्री प्रार्थना को। ध्यान और प्रार्थना पहुंचते हैं एक ही मंजिल पर। लेकिन उनके यात्रा-पथ नितांत भिन्न हैं। और उचित यही है कि अपना यात्रा-पथ चुनें, और दूसरे की चिंता न करें। क्योंकि स्वयं को ही समझना जब इतना कठिन है, तो दूसरे को समझना तो करीब-करीब असंभव है।

    - ओशो 

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