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    अस्तित्व तो सदा वर्तमान है - ओशो

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    अस्तित्व तो सदा वर्तमान है - ओशो 


    हम आमतौर से पूछते हैं, परमात्मा को कैसे पाएं ? वह प्रश्न ही गलत है। पूछना चाहिए कि हमने परमात्मा को कैसे खोया ? हाउ वी हैव लास्ट हिम? कैसे खो दिए हैं हम ? क्योंकि परमात्मा को खोने का मतलब अपने को खोना! हमने अपने को कैसे खो दिया है? हम अपने को कैसे भूल गए हैं? यह कैसे संभव हो गया! इंपासिबल! यह असंभव कैसे संभव हुआ है कि हम अपने को ही नहीं जान पा रहे हैं कि कौन हैं ! इससे ज्यादा असंभव कोई बात हो सकती है!

    मैं हूं, मैं जानता भी हूं कि हूं और फिर भी नहीं जानता कि कौन हूं! बड़ी अदभुत घटना घट गई है ! अगर दुनिया में कोई मिरेकल कोई चमत्कार घटित हुआ है, तो वह चमत्कार यह नहीं है कि किसी ने ताबीज बना दिया हवा से और किसी ने राख गिरा दी है हवा से कि किसी ने किसी अंधे की आंखें ठीक कर दीं। इस जगत में जो सबसे बड़ा चमत्कार हो गया, वह यह कि हम हैं, जानते हैं कि हैं और पता नहीं कि कौन हैं और पता नहीं कहां थे और पता नहीं कहां के लिए जा रहे हैं? यह एकमात्र मिरेकल है। पर यह कैसे संभव हुआ यह समझना चाहिए। और अगर यह हमारी समझ में आ जाए कि यह कैसे संभव हुआ है, तो कठिन नहीं है यह बात कि हम मुट्ठी बांधना बंद कर दें और मुट्ठी खुल जाए।

    कुछ तरकीबें हैं मन की जिनसे यह संभव हुआ है। पहली तो मन की तरकीब यह है कि वह आपको कभी वर्तमान में नहीं जीने देता, जीने ही नहीं देता ! आप कभी वर्तमान में होते ही नहीं! यहां और अभी आप कभी नहीं होते। या तो पीछे अतीत में होते हैं, जो जा चुका है, जो अब नहीं है या भविष्य में होते हैं, जो अभी आया नहीं और नहीं है। जो है, जो अभी है इसी वक्त, उसमें आप कभी होते ही नहीं।

    तो मन की एक ट्रिक है कि वह आपको वर्तमान से चुकाता रहता है, और वर्तमान से अगर आप चुक गए तो दरवाजा बंद हो गया, क्योंकि वर्तमान दरवाजा है— सत्य का, अस्तित्व का, एक्झिस्टेंस का । अगर इसे ठीक से समझ लें कि अस्तित्व में न तो अतीत है कुछ और न भविष्य है कुछ। अस्तित्व तो सदा वर्तमान है। इसलिए आप परमात्मा के लिए पास्ट टेंस का या फ्यूचर टेंस का उपयोग नहीं कर सकते। आप यह नहीं कह सकते गॉड वाज, नहीं कह सकते ईश्वर था, आप यह भी नहीं कह सकते गॉड विल बी कि ईश्वर होगा, आप जब भी कहेंगे तब गॉड इज़ ईश्वर के लिए अतीत और भविष्य का उपयोग नहीं हो सकता, वह है। सच बात यह है कि है कहना भी परमात्मा को गलत है, क्योंकि हम है उस चीज को कहते हैं जो नहीं है भी हो सकती है। हम कहते हैं : तख्त है, टेबल है, क्योंकि कल टेबल नहीं हो सकती है, कल नहीं थी। जो कल नहीं थी, कल नहीं हो सकती है, उसको है कहने का कोई मतलब है? परमात्मा को है कहना भी मुश्किल है क्योंकि वह है पन है। गॉड इज़ ऐसा कहना गलत है, इज़नेस वह जो होना है वही परमात्मा है और वह सदा वर्तमान है, वह न कभी अतीत है, न कभी भविष्य । और हम, हम कभी वर्तमान में नहीं हैं, द्वार बंद हो गया।

     - ओशो 

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