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    ध्यान की अनुपस्थिति है मन - ओशो

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    ध्यान की अनुपस्थिति है मन - ओशो 

    ध्यान के लिए श्रम करो। मन की सब समस्याएं तिरोहित हो जाएंगी। असल में तो मन ही समस्या है, माइंड इज़ दि प्रॉब्लम। शेष सारी समस्याएं तो मन की प्रतिध्वनियां मात्र हैं। एक-एक समस्या से अलग-अलग लड़ने से कुछ भी न होगा। प्रतिध्वनियों से संघर्ष व्यर्थ है। पराजय के अतिरिक्त उसका और कोई परिणाम नहीं है। शाखाओं को मत काटो। क्योंकि एक शाखा के स्थान पर चार शाखाएं पैदा हो जाएंगी। शाखाओं के काटने से वृक्ष और भी बढ़ता है। और समस्याएं शाखाएं हैं। काटना ही है तो जड़ को काटो। क्योंकि जड़ के कटने से शाखाएं अपने आप ही विदा हो जाती और मन है जड़। इस जड़ को काटो ध्यान से। मन है समस्या। ध्यान है समाधान। मन में समाधान नहीं है। ध्यान में समस्या नहीं है। क्योंकि मन में ध्यान नहीं है। क्योंकि ध्यान में मन नहीं है। ध्यान की अनुपस्थिति है मन। मन का अभाव है ध्यान। इसलिए कहता हूं : ध्यान के लिए श्रम करो।

    - ओशो 

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