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    Osho Hindi Pdf- Phir Patto Ki फिर पत्तो की

    Osho Hindi Pdf-  Phir Patto Ki

    फिर पत्तो की 

    भारत : एक सनातन यात्रा प्यारे भगवान, वह कौन-सा सपना है, जिसे साकार करने के लिए आप तमाम रुक विटों और बाधाओं को नजरअंदाज करते हुए पिछले पच्चीस-तीस वर्षों से निरंतर क्रियाशील हैं? हर्षिदा, सपना तो एक है, मेरा अपना नहीं, सदियों पुराना है, कहें कि सनातन है।

    पृथ्वी के इस भू-भाग में मनुष्य की चेतना की पहली किरण के साथ उस सपने क । देखना शुरू किया था। उस सपने की माला में कितने फूल पिरोये हैं-कितने गौत म बुद्ध, कितने महावीर, कितने कबीर, कितने नानक, उस सपने के लिए अपने प्रणों को निछावर कर गये। उस सपने के मैं अपना कैसे कहूं? वह सपना मनुष्य का , मनुष्य की अंतरात्मा का सपना है। इस सपने को हमने एक नाम दे रखा है। हमइस सपने को भारत कहते हैं। भारत कोई भूखंड नहीं है। न ही कोई राजनैतिक इकाई है, न ऐतिहासिक तथ्यों का कोई टूकड़ा है। न धन, न पद, न प्रतिष्ठा वी पागल दौड़ है। 

    भारत है एक अभीप्सा, एक प्यास-सत्य को पा लेने वी।। उस सत्य को, जो हमारे हृदय की धड़कन-धड़क में बसा है। उस सत्य को, जो ह मारी चेतना वी तहों में सोया है। वह जो हमारा होकर भी हमें भूल गया है। उस का पुन: स्मरण उसकी पुनरुद्घोषणा भारत है। 'अमृतस्य पुत्र:-ऐ अमृत के पुत्रो', जिनने इस उदघोषणा को सुना, वे ही केवल भ रत के नागरिक हैं। भारत में पैदा होने से कोई भारत का नागरिक नहीं हो सकत जमीन पर कोई कहीं भी पैदा हो, किसी देश में, किसी सदी में, अतीत में या भा वष्य में, अगर उसकी खोज अंतस वी खोज है, वह भारत का निवासी है। मेरे लि ए भारत और अध्यात्म पर्यायवाची हैं। भारत और सनातन धर्म पर्यायवाची हैं। इ सलिए भारत के पूत्र जमीन के कोने-कोन में हैं। और जो एक दुर्घटना की तरह के वल भारत में पैदा हो गए हैं, जब तक उन्हें अमृत वी यह तलाश पागल न बना दे, तब तक वे भारत के नागरिक होने के अधिकानी नहीं हैं। 

    भारत एक सनातन यात्रा है, एक अमृत पथ है, जो अनंत से अनंत तक फैला हुअ | है। इसलिए हमने कभी भारत का इतिहास नहीं लिखा। इतिहास भी कोई लिखने की बात है साधारण-सी दो कौड़ी वी रोजमर्रा की घटनाओं का नाम इतिहास है। जो आज तूफान की तरह उठती हैं और कल जिनका कोई निशान भी नहीं रह जाता। इतिहास तो धूल का बवंडर है। भारत ने इतिहास नहीं लिखा। भारत ने तो केव ल उस चिरंतन की ही साधना ही है, वैसे ही जैसे चकोर चांद को एकटक बिना प लक या टेग्नता रहता............

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