सहज समाधि का अर्थ - ओशो
सहज समाधि का अर्थ - ओशो
जिसके जीवन में आनंद की वर्षा हो जाती है, उसके अशांत होने की संभावना समा. त हो जाती है। और जिसके जीवन में आनंद खिल जाता है वह सिर्फ शांत नहीं हो ता क्योंकि शांत तो बडी निष्क्रिय अवस्था है। शांत तो नकारात्मक स्थिति है। वह ि वधायक आनंद से भरा होता है। उसकी समाधि नाचती हुई होती है। उसकी समाधि में एक गीत होता है। एक सतत प्रवाह होता है, एक सृजनात्मक, सक्रिय ऊर्जा हो ती है। उसकी समाधि अशांति का हट जाना नहीं है, आनंद का उतर आना है। उस की समाधि बीमारी का मिट जाना नहीं है, स्वास्थ्य का आर्विभाव है। कबीर कहते हैंसहज समाधे सुख में रहिवो, कौटि कलट विश्राम । वह जो अनंत-अनंत कल्पनाएं थीं, पीड़ाएं थीं, विकल्प थे, सबसे विश्राम हो गया। वे सब जा चूके। अब कोई सताता नहीं। न लोभ द्वार पर दस्तक देता है, न मोह, न राग, न क्रोध-कोटि कलप विधाम। वे सब विकल्प जा चुके।
सहज समाधे सुख में रहिवो... और एक महासुख का अवतरण हुआ है। लेकिन वह अवतरण सहज समाधि में होता है। यत्नपूर्वक जो समाधि है वह असहज समाधि है। सहज समाधि का अर्थ : स्वयंस फूर्त, अपने आप उतर आई। लेकिन यह कैसे होगा? अपने आप उतर आई तव तो तुम्हारे करने में कुछ बचाव नहीं। क्या करोगे? तुम्हें तो चेष्टा करनी पड़ेगी असहज समाधि की शांति तो तुम्हें लानी पड़ेगी। आनंद आता है। शांति तो केवल तैयारी है कि आनंद उतर सके। ज गह खाली करना है। सारा योग शांत समाधि तक ले जाता है। इसलिए जिन्होंने उस परम समाधि को पाया वह कहेंगे, गुरु कृपा से, प्रभु कृपा से, प्रसाद से। क्योंकि दूस री समाधि तो तुम नहीं ला सकते। वह तो आएगी ही.
- ओशो
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