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    श्रद्धा का अर्थ - ओशो

    Meaning of Shraddha - Osho


    श्रद्धा का अर्थ -  ओशो 

            श्रद्धा का अर्थ है, जानने को बहुत कुछ शेष है। मैंने कंकड़-पत्थर वीन लिए हैं समुद्र के तट पर, लेकिन इससे समुद्र का तट समाप्त नहीं हो गया। मैंने मुट्ठी भर रेत इ कट्ठी कर ली है, लेकिन सागर के किनारों पर अनंत रेत शेष है। मेरी मुट्ठी की सीम | है, सागर की सीमा नहीं है। मेरी वृद्धि की सीमा है, सत्य की सीमा नहीं। मैं कि तना ही पाता चला जाऊं तो भी पाने को सदा शेष रह जाएगा।

            यही तो अर्थ है परमात्मा को अनंत कहने का। तुम कितना ही पाओ, वह फिर भी पाने को शेष रहेगा। तम पा-पा कर थक जाआगे वह नहीं चकेगा। तम्हारा पात्र भ र जाएगा, ऊपर से बहने लगेगा, लेकिन उसके मेघों से वर्षा जारी रहेगी। हम कण मात्र है। जव कण का खयाल हो जाता है कि मैं सब, वहीं श्रद्धा समाप्त हो जाती है। श्रद्धा अज्ञात की तरफ पैर उठाने के साहस का नाम है। अनजान में प्र वेश, अज्ञात में प्रवेश; जहां मैं कभी नहीं गया, जो मैं कभी नहीं हुआ, वह भी हो सकता है।

    -  ओशो 

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