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    समाधि की पूर्ण परिभाषा- ओशो

    Full definition of Samadhi - Osho


     समाधि की पूर्ण परिभाषा-  ओशो 

            जब बुद्ध से किसी ने पूछा कि समाधि की पूर्ण परिभाषा क्या है तो उन्होंने कहा, ि क परिभाषा तो मुझे पता नहीं लेकिन दो बातें निश्चित हैं—महाज्ञान, महाकरुणा पूछनेवाले ने कहा, महाराज कह देने से क्या काफी न होगा? बुद्ध ने कहा, नहीं व ह अधूरा होगा वह सिक्के का एक पहलू है दसरा पहलु है, महाकरुणा जब भी ज नि का जन्म होता है, तभी करुणा का जन्म हो जाता है क्यों? क्योंकि अब तक ज ने जीवन ऊर्जा वासना बन रही थी वह कहां जाएगी? ऊर्जा नष्ट नहीं होती अभी धन के पीछे दौड़ती थी, पद के पीछे दौड़ती थी, महत्वाकांक्षा थीं अनेक अनेक अने क तरह के भोगो की कामना थी, सारी ऊजो वहां संलग्न थी। 

            प्रकाश के जलते, ज्ञा न के उदय होते वह सार अंधकार, वह भोग, लिप्सा, महत्वाकांक्षा ऐसे ही विलीन हो जाते हैं, जैसे दीए के जलते अंधकार ऊर्जा का क्या होगा? जो ऊर्जा काम वासना बनी थी, जो ऊर्जा क्रोध बनती थी, जो ऊर्जा ईर्ष्या बनती थी, मत्सर बनती थी, उस ऊर्जा का, उस शुद्ध शक्ति का क्या होगा? वह सारी शक्ति करुणा बन जाती है महाकरुणा का जन्म होता है और वह करुणा तुम्हारी काम बासना से ज्यादा अदम्य होती है। क्योंकि तुम्हारी काम वासना और बहुत सी वासनाओं के साथ है महत्वाकांक्षा है, धन भी पाना है तुम कामवासना को स्थगित भी कर देते हो कि ठहर जाओ दस वर्ष; धन कमा ले ठीक से, फर शादी करेंगे। धन की वासना अकेली नहीं है। 

            पद की वासना भी है। तुम पद पाने के लिए धन क | भी त्याग कर देते हो चूनाव में लगा देते हो सब धन, कि किसी तरह मंत्री हो जाओ लेकिन मंत्री की कामना भी पूरी कामना नहीं है। मंत्री होकर फिर तुम स्त्रिय में के पीछे भागने लगते हो मंत्री पद भी दांव पर लग जाता है। तुम्हारी सभी कामनाएं अधरी अधूरी है हजार कामनाएं हैं और अभी में ऊर्जा बंटी है। लेकिन जब सभी कामनाएं शून्य हो जाती हैं, सारी ऊर्जा मुक्त होती है। तुम ए क अदम्य ऊर्जा के स्रोत हो जाते हो एक प्रगाढ़ शक्ति! उस शक्ति का क्या होगा? जब भी आनंद का जन्म होता है, समाधि का जन्म होता है, सत्य का आकाश मिल ता है, तब तुम तत्क्षण पाते हो कि वे जो पीछे रह गए, उन्हें अभी इसी खुले आक शि में ले आना है तब तुम्हारा सारा जीवन जो बंध है उन्हें मुक्त करने में लग जाता है। जो कारागृह में हैं, उन्हें खुला आकाश देने में लग जाता है। जिनके पंख जंग खा गए हैं, उनके पंखों को सुधारने में लग जाता है कि वे फिर से उड़ सकें जिन के पैर जाम हो गए हैं, उनके पैरों को फिर जीवन देने में लग जाता है ताकि लंग. डे चलें और अंधे देखें और बहरे सुन सकें।

    - ओशो 

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