वासना एक शोरगुल है जिसमें संगीत विलकुल ही नहीं है - ओशो
वासना एक शोरगुल है जिसमें संगीत विलकुल ही नहीं है - ओशो
वासना के सिवाय कोई स्वर तुमने नहीं सुना। और वासना भी कोई संगीत है! वासना तो एक शोरगुल है जिसमें संगीत विलकुल ही नहीं है। वासना तो एक विसं गीत है, जिससे तुम तनते हो, चिंतित होते हो, वेचैन-परेशान होते हो। संगीत तो वह है जो तुम्हें भर दे उस अनंत आनंद में से, जहां सब वेचैनी खो जाती है, जहां चैन की बांसुरी बजती है। और ऐसी बांसूरी, कि उसका फिर कभी अंत नहीं आता।
तुम अंधे हो। तुमने बहुत कुछ देखा है लेकिन जो देखा है वह सब ऊपर की रूपरेखा __ है। भीतर का सत्य तुम नहीं देख पाते। शरीर दिखता है, आत्मा नहीं दिखती। पदर्थ दिखता है, परमात्मा नहीं दिखता। दृश्य दिखाई पड़ता है, अदृश्य नहीं दिखाई प डता। और अदृश्य ही आधार है दृश्य का। परमात्मा ही आधार है पदार्थ का। और आत्मा के बिना क्षणभर भी तो शरीर जीता नहीं। इधर उड़ गया पंछी, उधर शरीर जलाने को लोग ले चलें। फिर भी तुमने सिर्फ शरीर देखा है और आत्मा नहीं देखी | अंधे हो तम पंग हो तम |
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