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    मुर्दे भी जानते हैं, कैसे तैरना, और जिंदा आदमी डूब जाता है - ओशो

    Even the dead know how to swim, and the living man drowns - Osho


    मुर्दे भी जानते हैं, कैसे तैरना, और जिंदा आदमी डूब जाता है - ओशो 

               तुम्हारी दशा वैसी है, कि तुम नदी के तट पर खड़े हो, और मैं तुमसे कहता हूं कि आओ, उतर आओ। तैरना सीख लो। तुम कहते हो, पहले हम तैरना सीख लेंगे। प नी का क्या पता? खतरा हो, जान चली जाए। बात आपकी ठीक होगी, लेकिन ह म पहले तैरना सीख लेंगे, तभी पानी में उतरेंगे। वात तुम्हारी भी ठीक है। क्योंकि खतरा पानी में उतरने का तभी लेना चाहिए जब तैरना आता हो। संदेह का शास्त्र यही कहता है कि पहले सीख लो, समझ लो, फिर उतरो। 

            लेकिन तुम तैरना सीखोगे कैसे अगर तुम पानी में उतरने को राजी ही नहीं? तुम्हें पानी में उतरना ही पड़ेगा, विना तैरना सीखे। क्योंकि तैरना पानी में उतरने से ही जाएगा। धीरे-धीरे उतरो, आहिस्ता, आहिस्ता, उतरो, सम्हाल सम्हाल कर कदम र खो, पर उतरो। पानी में तुम उतर गए, तैरना सीखने में बहुत कठिनाई नहीं है। वस्तुत: गुरु कुछ ज्यादा नहीं सिखाता। तुम में साहस हो, तो गुरु की शिक्षा बहुत थ ड़ी है। वह तुम्हें तैरना सिखा देता है। तैरना तो सभी को आता है। यह तुम जान कर चकित होओगे। तैरना सभी को आता है, तुमने सिर्फ अपनी संभावना की परीक्षा नहीं की। तैरना तो सभी को आता है। सीखना नहीं है, सिर्फ स्मरण करना है। पा नी में उतर कर तुम हाथ-पैर फेंकना शुरू कर दोगे। वह तैरना है थोड़ा अकुशल। दो चार दिन में कुशलता से तुम हाथ फेंकने लगोगे। वह वही का वही है। पहले दिन जो तुमने हाथ फेंके थे, उस हाथ फेंकने में और आखिरी दिन, जिस दिन तुम कु शल तैराने हो जाओगे, हाथ फेंकने में फर्क नहीं है। थोड़ा व्यवस्था का फर्क है। और वह फर्क भी बहुत गहरा नहीं है। 

            वस्तुत: थोड़ी आस्था का फर्क है। पहले दिन । आस्था न थी, घबड़ाहट में फेंके थे। अब तुम आस्थावान हो। जानते हो कि हाथ फें कने से बच जाते हो। कोई खतरा नहीं, पानी कितना ही गहरा हो। तैरनेवाले को क या फर्क पड़ता है, कि पानी दस गज गहरा है कि दस मील गहरा है? कोई फर्क न हीं पड़ता। एक बार कला आ गई, फिर तो हाथ भी फेंकने की जरूरत नहीं रह जा ती। आदमी ऐसे ही पड़ा रह जाता है पानी में, तिरता है; तैरता भी नहीं। क्या हो गया? आस्था बड़ी गहन हो गई। अब वह जानता है कि डूब तो सकते ही नहीं। अब यह बड़े मजे की बात है, कि आदमी जिंदा आदमी हो, तैरना न जानता हो, त ो डूब कर मर जाता है। लेकिन जब मर जाता है तो पानी के ऊपर आ कर तैरने लगता है। मुर्दे भी जानते हैं, कैसे तैरना। और जिंदा आदमी डूब जाता है।

    - ओशो 

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