तुम जन्मों-जन्मों से सोए रहे हो, लेकिन जागने की घटना एक क्षण में घट जाती है- ओशो
तुम जन्मों-जन्मों से सोए रहे हो, लेकिन जागने की घटना एक क्षण में घट जाती है- ओशो
एक क्षण में घट जाती है घटना। मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं, जन्मों-जन्मों का कर्मों का जाल है। आप कहते हैं, एक क्षण में घट जाती है घटना, यह कैसे घटेगा? पाप-पुण्य जो किए हैं, उनका क्या होगा? वे सब तुमने सपने में किए हैं। वे सब तुमने बेहोशी में किए हैं, उसकी कोई जिम्मेद परी तुम पर नहीं है। एक आदमी शराब पीकर किसी को मार दे, अदालत भी क्षमा कर देती है। एक आदमी पागल हो, पत्थर फेंक कर किसी की खिड़की तोड़ दे, अदालत भी माफ कर देती है। छोटा बच्चा चोरी कर ले, अदालत क्षमा कर देती है। बेहोश का भी कोई दायित्व है?
और परमात्मा बेहोश को क्षमा न करे, तो अन्याय हो जाए| मैं तुमसे कहता हूं, कि कोई कर्म वाधा नहीं है। एक क्षण में तुम जाग सकते हो। तुम यह मत कहो, कि मैं रात भर सोया रहा, तो एक क्षण में तुम मुझे उठाओगे कैसे? रात भर सोया रहा, तो उठाने में इतना ही तो वक्त लगेगा, जितना मैं सोया रहा। नींद गहरी हो गई। लेकिन हम जानते हैं कि एक झटके में उठाए जा सकते हैं। नींद वाधा नहीं बनेगी। तुम जन्मों-जन्मों से सोए रहे हो, इससे कोई फर्क नहीं पडता। सिर्फ तुम राजी हो जाओ, कि कोई तुम्हें हिलाए, तो तुम श्रद्धा से उठ जाओ
- ओशो
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