Osho Hindi Pdf- Kya Ishwar Mar Gaya Hai क्या ईश्वर मर गया है?
क्या ईश्वर मर गया है?
जो मर जाए वह ईश्वर नहीं एक छटी सी कहानी से मैं आज वी चर्चा प्रारंभ करना चाहूंगा। एक सुबह की बात है। एक पहाड़ से एक व्यक्तिगत गाता हुआ नीचे उतर रहा था। उसकी आंखों में किसी बात को खोज लेने का प्रकाश था। उसके हृदय में किसी साय को जान लेने की खुश थी। उसके कदमों में उस सत्य को दूसरे लोगों तक पहुंचा देने की गति थी। वह बहुत उत्साह और आनंद से भरा हुआ प्रतीत हो रहा था। अकेला था वह पहाड़ के रास्ते पर और नीचे मैदान की ओर उतर रहा था। बीच में उसे एक बूढ़ा आदमी मिला, जो पहाड़ वी तरफ, ऊपर को चढ़ रहा था। उस व्यक्ति ने उस बूढ़े आदमी से पूछा- तुम किसलिए पहाड़ पर जा रहे हो? उसे बूढ़े ने कहा- परमात्मा की खोज के लिए! और वह व्यक्ति, जो पहाड़ से नीचे की तरफ उतरा आ रहा था, यह सुनकर बहुत जोर से हंसने लगा और उसने कहा-क्या यह भी हो सकता है, तुम्हें वह दुखद समाचार अभी तक नहीं मिला? उस बूढ़े आदमी ने पूछा-कौन-सा समाचार है? तो उस व्यक्ति ने कहा- क्या तुम्हें अभी तक पता नहीं कि ईश्वर मर चुका है? तुम किसे खोजने जा रहे हो? क्या जमीन पर और नीचे मैदानों में अब तक वह खबर नहीं पहुंची कि ईश्वर मर चुका है? मैं पहाड़ से ही आ रहा हूं। मैं भी ईश्वर को खोजने गया था, लेकिन वहां जाकर मैंने भी ईश्वर को नहीं, ईश्वर वी लाश को पाया। और क्या दुनिया तकी विश्वास की , जब उसे अपने हाथों से दफना देगी? क्या यह खबर अब तक नहीं पहुंची? मैं वारी खबर लेकर नीचे उतर रहा हूं कि मैदानों में जाऊं और लोगों को कह दूं कि पहाड़ों पर जो ईश्वर रहता था, वह मर चुका है।
लेकिन उस बूढ़े आदमी ने विश्वास नहीं किया। साधारणतः कोई मर जाए तो उसकी बात पर हम विश्वासही ना करते हैं। ईश्वर के मरने पर कौन विश्वास करता है? उस बूढ़े आदमी ने समझा कि युवक पागल हो गया है। वह बूढ़ा अपने रास्ते पर बिना कुछ कहे, पहाड़ चढ़ने लगा और उस युवक ने सोचा कि अजीब है यह आदी, जिसे खोजने जा रहा है, वह मर चुका है और फिर भी खोज को जारी रखना चाहता है। लेकिन वह नीचे की तरफ उतरता रहा। रास्ते में और एक साधु मिला, जो आंखें बंद किये हुए ध्यान में लीन था। उस युवक ने उसे झकझोरा और कस-किसका चिंतन करते हो? किसका ध्यान करते हो? उसने कहा-परमात्मा का ध्यान करता है।
वह युवक हंसा और बोला-मालूम होता है यह खबर ले जाने का दुखद काम मुझे ही करना पड़ेगा कि तुम जिसका ध्यान कर रहे हो, बहुत समय हुआ वह मर । चुका है। उसका ध्यान करने से कुछ भी नहीं होगा। अब उसके स्मरण करने से कुछ भी न होगा और अब उसके गीत और प्रार्थनाएं कोई भी फल नी लायेंगे, क्योंकि मुरदा कुछ नहीं कर सकता, मुरदा परमात्मा भी क्या करेगा? और वह युवक मीचे उतर गया। और उसी पहाड़ पर मैं भी गया था और में भी उससे मुलाकात हुई। वारी, मैं आपसे कहना चाहता हूं। उस आदी ने मुझसे भी पूछा कि कहां जाते हो? इसके पहले कि मैं उसको कोई उत्तर देता, मैंने उससे पूछा- तुम कहाँ जाते हो? उसने कहा-एक खबर मेरे पास है, उसे दुनिया को मुझे कहना है। और उसने कहा कि ईश्वर मर गया है, तुम्हें पता चला है? मैंने उस आदमी से कहा-मेरे पास भी एक खबर है और मुझे भी वह दुनिया से कहनी है। और क्या तुम्हें पता है कि जो ईश्वर मरा है वह ईश्वर था ही नहीं।
एक झूठा ईश्वर मर गया है। कुछ लोग उस झूठे ईश्वर के जिंदा होने के खयाल में हैं और कुछ लोग उस झूठे ईश्वर के मर जाने के खयाल में हैं। लेकिन जो सच्चा ईश्वर था, वह अब भी है और हमेशा रहेगा। उससे मैने कहा-तुम एक खबर दुनिया को कहना चाहते हो और मैं भी एक खबर कहना चाहता हूं कि जा मर गया है, वह सच्चा ईश्वर नौं था, क्योंकि जो मर सकता है, वह जीवित हीन रहा होगा। जीवन का मृत्यु से कोई संबंध नहीं है। जहां जीवन है, वहाँ मृत्यु नहीं है। और जहां मृत्यु हो, जानना कि जीवन शामकथा, झूठा था, कल्पित था। मृत्यु की सत्य की। वह जो मरा हुआ है, वो केवल मरता है। जो जीवित है, उसके मरने की कोई संभावना नहीं है। जीवन के मर जाने से ज्यादा असंभव बात और कोई नहीं हो सकती है। ईश्वर तो समप्र जीवन का नाम है।
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