आनंदातिरेक और भगवत्-मादकता का मार्ग - ओशो
आनंदातिरेक और भगवत्-मादकता का मार्ग - ओशो
कल से निम्नलिखित ध्यान प्रारंभ करो। और जानो कि यह आदेश है। अब तुम मेरे इतने अपने हो कि सिवाय आदेश देने के मैं और कुछ नहीं कर सकता।
पूर्व-आवश्यकताएं1. प्रफुल्लता से करो, 2. शिथिलता में करो, और, 3. आनंदित होओ। 4. प्रातः स्नान करने के बाद इसे करो। ध्यान के चरण1. पहला चरण—लयबद्धता से गहरी श्वास लो। तेज नहीं, बल्कि धीमी गति से। दस मिनट के लिए। 2. दूसरा चरण—मंद गति से लय में नाचो। आनंदित होओ। जैसे कि उसमें बह रहे हो। दस मिनट के लिए।
3. तीसरा चरण— महामंत्र हू-हू का उपयोग करो। हू— दस मिनट के लिए। नाचना व हिलना-डोलना चलता रहे। गंभीर मत होना।
4. चौथा चरण—आंखें बंद कर लो और मौन हो जाओ। अब नाचना, या हिलना-डोलना नहीं करो। खड़े रहो, बैठ जाओ या लेट जाओ—जैसा भी तुम्हें ठीक लगे। पर ऐसे हो रहो, जैसे मर ही गए हो। गहरे डूबने का अनुभव करो। समर्पित हो जाओ और स्वयं को समग्र के हाथों में छोड़ दो। दस मिनट के लिए।
बाद की आवश्यकताएं____ 1. पूरे दिन आनंदातिरेक में जीयो— भगवत-मादकता में। उसमें बहो और खिलो। जब कभी मन डूबता-सा लगे—भीतर कहो—हू-हू-हू और बाहर हंसो। हंसो बिना किसी कारण के। और, इस पागलपन को स्वीकार करो।
2. सोने के पहले, महामंत्र हू-हू-हू का उच्चार करो। दस मिनट के लिए। और तब स्वयं पर हंसो।
3. प्रातः जब तुम्हें लगे कि जाग खुल गयी है, पुनः महामंत्र हू-हू-हू का उच्चार करो। दस मिनट के लिए। और तब हृदयपूर्वक हंसते हुए दिन का प्रारंभ करो।
4. और, सदैव स्मरण रखो कि मैं तुम्हारे साथ हूं।
- ओशो
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