ध्यान में पूरा डूबना ही फल का जन्म है - ओशो
ध्यान में पूरा डूबना ही फल का जन्म है - ओशो
जल्दी न करें। धैर्य रखें। धैर्य ध्यान के लिए खाद है। ध्यान को संभालते रहें। फल आएगा ही। आता ही है। लेकिन फल के लिए चिंतित न हों। क्योंकि वैसी चिंता ही फल के आने में बाधा बन जाती है। क्योंकि वैसी चिंता ही ध्यान से ध्यान को बंटा लेती है। ध्यान (मेडीटेशन) पूरा ध्यान (अटैनशन) मांगता है। बंटाव नहीं चलेगा। आंशिकता नहीं चलेगी। ध्यान तुम्हारी समग्रता (टोटलिटी) के बिना संभव नहीं है। इसलिए, ध्यान के कर्म पर ही लगो और ध्यान के फल को प्रभु पर छोड़ो। और फल आ जाता है। क्योंकि ध्यान में पूरा डूबना ही फल का जन्म है।
- ओशो
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