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    साधना में धैर्य - ओशो

    Patience-in-Sadhana-Osho

     

    साधना में धैर्य - ओशो 

    साधना के जीवन में धैर्य सबसे बड़ी बात है। बीज को बोकर कितनी प्रतीक्षा करनी होती है। पहले तो श्रम व्यर्थ ही गया दिखता है। कुछ भी परिणाम आता हुआ प्रतीत नहीं होता। पर एक दिन प्रतीक्षा प्राप्ति में बदलती है। बीज फटकर पौधे के रूप में भूमि के बाहर आ जाता है। पर स्मरण रहे, जब कोई परिणाम नहीं दिख रहा था, तब भी भूमि के नीचे विकास हो रहा था। ठीक ऐसा ही साधक का जीवन है। जब कुछ भी नहीं दिख रहा होता, तब भी बहुत कुछ होता है। सच तो यह है कि—जीवन-शक्ति के समस्त विकास अदृश्य और अज्ञात होते हैं। विकास नहीं, केवल परिणाम दिखाई पड़ते हैं। साध्य की चिंता छोड़कर साधना करते चलें, फिर साध्य तो अपने आप आता चला जाता है। एक दिन आश्चर्य से भरकर ही देखना होता है कि यह क्या हो गया है। मैं क्या था और क्या हो गया हूं। तब जो मिलता है उसके समक्ष उसे पाने के लिए किया गया श्रम नाकुछ मालूम होता है 

     - ओशो 

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