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    देश के लिए कोई नया जीवन, चिंतन, समाज व्यवस्था, अर्थव्यवस्था की जरुरत - ओशो

     

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     देश के लिए कोई नया जीवन, चिंतन, समाज व्यवस्था, अर्थव्यवस्था की जरुरत  - ओशो 

    मोहम्मद के एक मित्र थे अली। अली ने एक दिन मोहम्मद से पूछा कि आदमी स्वतंत्र है या परतंत्र ? तो मोहम्मद ने कहा कि तू अपना एक पैर ऊपर उठा ले । तो अली ने अपना बायां पैर ऊपर उठा लिया। मोहम्मद ने कहा कि अब तू दूसरा पैर भी ऊपर उठा ले । उसने कहा कि यह कैसे हो सकता है? मोहम्मद ने कहा, दायां पैर भी ऊपर उठा लो । उसने कहा, अब यह कैसे हो सकता है? लेकिन अगर मैंने बायां न उठाया होता, तो मैं दायां उठा सकता था। अब तो दायां नहीं उठा सकता क्योंकि बायां मैं उठा चुका हूं।

    तो मोहम्मद ने कहा, तू स्वतंत्र था उठाने के पहले, एक पैर उठाया कि दूसरा पैर जो नहीं उठाया उस संबंध में भी बंध गया। अभी देश स्वतंत्र है कदम उठाने के पहले, और एक बार उसने समाजवादी कदम उठाया कि फिर दूसरा कदम उठाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। वह बंध जाएगा। उसके पहले विचार कर लेना जरूरी है कि हम क्या कदम उठाना चाहते हैं। या सिर्फ हम हवा में घूमते हुए जो आटोसजेशंस सारी मुल्क में तैरते रहते हैं, सारी दुनिया में हवा में जो सुझाव तैरते रहते हैं उन्हीं को पकड़ कर चल जाएंगे या सोचेंगे - विचारेंगे और देश के लिए कोई नया जीवन, चिंतन, समाज व्यवस्था, अर्थव्यवस्था के लिए कोई धारणा खड़ी करेंगे।

     - ओशो 

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