समय के पूर्व शक्ति का जागरण हानिप्रद - ओशो
समय के पूर्व शक्ति का जागरण हानिप्रद - ओशो
तृतीय नेत्र (थर्ड आई) की चिंता में तू न पड़। आवश्यक होगा तो मैं तुझसे उस दिशा में कार्य करने को कहंगा। वह तेरी संभावना के भीतर है और बिना ज्यादा श्रम के ही सक्रिय भी हो सकती है। लेकिन, तू स्वयं उत्सुकता न ले। समय के पूर्व शक्ति का जागरण बाधा भी बन सकता है। और मूल-साधना से भटकाव भी। फिर सत्य के साक्षात्कार के लिए वह आवश्यक भी नहीं है। और अनिवार्य तो बिलकुल ही नहीं। कभी-कभी कुछ शक्तियां अनचाहे भी सक्रिय हो जाती हैं; लेकिन उनके प्रति भी उपेक्षा (इनडिफरेंस) आवश्यक है। और नए सोपान पर गतिमय होने में सहयोगी भी। अब जब मैं तेरी चिंता करता हूं तो तू सब चिंताओं से सहज ही विश्राम ले सकती है।
- ओशो
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