मन का रेचन ध्यान में - ओशो
मन का रेचन ध्यान में - ओशो
भय न करो। ध्यान में जो भी हो होने दो। मन रेचन (केथारसिस) में है तो उसे रोको मत। चित्त-शुद्धि का यही मार्ग है। अचेतन (अनकांशस) में जो भी दबा है, वह उभरेगा। उसे मार्ग दो ताकि उससे मुक्ति हो सके। उसे दबाया कि ध्यान व्यर्थ हुआ और उससे मुक्ति हुई नहीं कि ध्यान सार्थक हुआ। इसलिए, समस्त उभार का स्वागत करो। और उसे सहयोग भी दो। क्योंकि, अपने आप जो कार्य बहुत समय लेगा, वह सहयोग से अल्पकाल में ही हो जाता है।
- ओशो
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