स्वीकार से दुख का विसर्जन - ओशो
स्वीकार से दुख का विसर्जन - ओशो
दुख को स्वीकार करें। दुख से भागें नहीं। जो दुख से भागता है, दुख उससे कभी नहीं भागता। जो दुख से नहीं भागता है, दुख उससे भाग जाता है। यही शाश्वत नियम है। दुख से बचने के लिए ध्यान न करें। ध्यान करें— ध्यान के लिए ही। ध्यान के आनंद के लिए ही ध्यान करें। और दुख फिर खोजे से भी नहीं मिलेगा।
- ओशो
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