चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक - ओशो
चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक - ओशो
पीड़ा थोड़ी बढ़े, तो चिंतित मत होना। चक्र सक्रिय होते हैं, तो पीड़ा होती है। पीड़ा के कारण ध्यान को शिथिल न करना। वस्तुतः तो, चक्रों पर पीड़ा शुभ-लक्षण है। और, जैसे ही अनादि-काल से सुप्त चक्र पूर्णरूपेण सक्रिय हो उठेंगे, वैसे ही पीड़ा हो जाएगी। चक्रों की पीड़ा—प्रसव पीड़ा है। तेरा ही नया जन्म शांत होने को है। सौभाग्य मान और अनुगृहीत हो—क्योंकि स्वयं के जन्म को देखने से बड़ा और सदभाग्य नहीं है।
- ओशो
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