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    अहिंसा—अनिवार्य छाया ध्यान की - ओशो

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    अहिंसा—अनिवार्य छाया ध्यान की - ओशो 

    ध्यान से मांसाहार तो कठिनाई में पड़ेगा ही। अपने तथाकथित सुख के लिए अब दुख किसी को भी न दे सकोगे। अहिंसा ध्यान की अनिवार्य छाया है। और, उस ध्यान में कुछ चूक है, जिससे कि अहिंसा सहज ही फलित नहीं होती है। अहिंसा को प्रयास से लाना पड़े, तो भी ध्यान में भूल है। अहिंसा को भी जो साधते हैं, उन्हें वास्तविक अहिंसा का कोई पता ही नहीं है। अहिंसा तो आती है सहज ध्यान के साथ-साथ, बस, ऐसे ही जैसे सूर्य के साथ प्रकाश। आनंद मनाओ और प्रभु को धन्यवाद दो कि ऐसी ही अहिंसा का पदार्पण तुम्हारे जीवन में हो रहा हो।

     - ओशो 

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