ऊर्जा-जागरण से देह-शून्यता - ओशो
ऊर्जा-जागरण से देह-शून्यता - ओशो
ध्यान शरीर की विद्युत-ऊर्जा (बॉडी इलेक्ट्रिसिटी) को जगाता है—सक्रिय करता है— प्रवाह मान करता है। तू भय न करना। न ही ऊर्जा-गतियों को रोकने की चेष्टा करना। वरन, गति के साथ गतिमान होना— गति के साथ सहयोग करना। धीरे-धीरे तेरा शरीर-भान, भौतिक-भाव (मैटेरियल-सेन्स) कम होता जाएगा और अभौतिक, ऊर्जा-भाव (नॉन मैटिरियल इनर्जी-सेन्स) बढ़ेगा। शरीर नहीं—ऊर्जा— शक्ति ही अनुभव में आएगी। शरीर की सीमा है— शक्ति की नहीं। शक्ति के पूर्णानुभव में अस्तित्व (एग्ज़िस्टेंस) में तादात्म्य होता है। सम्यक है तेरी स्थिति—अब सहजता से लेकिन दृढ़ता से आगे बढ़। जल्दी ही सफलता मिलेगी। सफलता सुनिश्चित है।
- ओशो
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