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    सारे लोग तैयार हैं पाप करने को, बिलकुल तैयार हैं, बस मौका नहीं है उनको - ओशो

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    सारे लोग तैयार हैं पाप करने को, बिलकुल तैयार हैं, बस मौका नहीं है उनको - ओशो 


    हिंदुस्तान - पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, जब बंटवारा हुआ तो जो पड़ोस में थे, भले लोग थे, मंदिर जाते थे, मस्जिद जाते थे, वे एक-दूसरे की छाती में छुरा भोंकने लगे, क्योंकि मौका मिल गया। उसके पहले मौका नहीं था तो वे मस्जिद जाते थे। अब मौका मिल गया तो छुरा भोंकने लगे। मौका नहीं मिलता था तो मंदिर में प्रार्थना करते थे। मौका मिल गया तो मकान में आग लगाने लगे। कल जब ये मंदिर जा रहे थे तब आप सोचते हैं ये दूसरे आदमी थे, यह छुरा भोंकने वाला आदमी कल भी मौजूद था। लेकिन परिस्थिति नहीं थी इसलिए प्रकट नहीं हो रहा था, छिपा हुआ था। आज परिस्थिति प्रकट होने की हो गई है, प्रकट हो गया।

    कल मालूम हो रहा था मंदिर जाना पुण्य है, आज पता चल रहा है कि दस हजार हिंदुओं को काट सकता है, आग लगा सकता है या मुसलमानों को आग लगा सकता है। यह वही आदमी है। मेरे गांव में वहां हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए, तो मैंने देखा वे ही लोग जिनको हम समझते हैं भले हैं, जो रोज सुबह गीता उठ कर पढ़ते हैं, वे इकट्ठे करने लगे कि किस तरहमुसलमानों को काटा जाए। तो मैं मानता हूं, जब वे गीता को पढ़ते थे, यही के यही आदमी थे, गीता आगे पढ़ रहे थे, भीतर वही काटना-पीटना छिपा था, मौजूद था। परिस्थिति नहीं थी, परिस्थिति सामने आ गई, एक नारा खड़ा हो गया कि हिंदू-मुसलमान में दंगा हो गया।

    इतनी-सी बात अखबार में छप गई और यह आदमी बदल गया! यह मकान जलाने की सोचने लगा! यह वही का वही आदमी है, मौका इसे नहीं था अब बहाना मिल गया। अब एक मौका मिला कि अपनी हिंसा दिखा सकता है एक बहाने का नाम लेकर। एक स्लोगन कि मैं हिंदू हूं और हिंदू धर्म खतरे में है मुसलमान को खतम करो । अब यह बहाना मिल गया, अब यह, अब यह खतरा कर सकता है। इसको कोई भी बहाना मिल जाए, गुजराती और मराठी में झगड़ा हो जाए, हिंदी बोलने वाले और गैर-हिंदी बोलने वालों में विरोध हो जाए। तो ये आग लगाने लगेंगे, हत्या करने लगेंगे, इनका सब धर्म, इनकी सब अहिंसा, इनकी सब नैतिकता एक तरफ धरी रह जाएंगी। तो इनकी जो नैतिकता चल रही थी वह बिलकुल झूठी थी, उसका कोई मूल्य नहीं था। इनकी जो अहिंसा चल रही थी बिलकुल थोथी थी, उसका कोई मूल्य नहीं था।

    इनके भीतर ये सब चीजें छिपी थीं, अवसर की तलाश थी। आप दुनिया को अवसर दे दें, यह जमीन इसी वक्त नर्क हो सकती है इसी क्षण। आप नर्क का पूरा इंतजाम किए बैठे हैं। लेकिन मंदिर भी जाते हैं, दान भी करते हैं, ग्रंथ भी पढ़ते हैं, सदगुरु के चरणों में प्रणाम भी करते हैं। ये सब बातें भी; और आप अभी नर्क बना दें इसी जगह को इसी क्षण, एक सेकेंड में यह नर्क हो जाए। एक नारा उठे और यह अभी नर्क हो जाए। अभी जिस आदमी के पास बैठ कर आप बड़े धार्मिक बने बैठे हैं उसी की गर्दन दबा सकते हैं इसी वक्त । तो मेरा मानना यह है कि आप जब नहीं दबा रहे हैं तब भी आप दबाने की स्थिति में तो हैं, नहीं तो एकदम से कैसे स्थिति आ जाएगी ? पाप की स्थिति होती है, पाप का कर्म नहीं होता। वह स्टेट ऑफ माइंड है। और जब तक हम उसको कर्म समझेंगे, तब तक दुनिया में बहुत क्रांति नहीं हो सकती। क्योंकि कर्म का कोई पता नहीं चलता।

    कर्म तो मौके - मौके पर प्रकट होते हैं और अच्छे-अच्छे बहाने लेकर प्रकट हो जाते हैं। अच्छे-अच्छे बहाने ले लेते हैं और प्रकट हो जाते हैं। इसलिए यह संभव हुआ है कि दुनिया में कोई भी शैतान आदमी, कोई भी हुकूमत, कोई भी पॉलिटिशियन, कोई भी राजनीतिज्ञ किसी भी क्षण दुनिया को युद्ध में डाल सकता है, किसी भी क्षण, क्योंकि सारे लोग तैयार हैं पाप करने को, बिलकुल तैयार हैं, मौका नहीं है उनको ।

     - ओशो 

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