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    रात्रि-ध्यान - ओशो

    Night-Meditation-Osho


     रात्रि-ध्यान - ओशो 

    रात्रि, सोने के पूर्व, बिस्तर पर लेट जाएं, कमरे में अंधेरा कर लें, और आंख बंद कर के जोर से श्वास मुंह से बाहर निकालें।

    निकालने से शुरू करें— एग्ज़ेहलेशन, लेने से नहीं, निकालने से। जोर से श्वास मुंह से बाहर निकालें, और निकालते समय ‘ओऽऽऽऽऽऽ...' की ध्वनि करें। जैसे-जैसे ध्वनि साफ होने लगेगी, ओम् अपने आप निर्मित हो जाएगा; आप सिर्फ ओऽऽऽऽऽऽ...का उच्चार करें। ओम् का आखिरी हिस्सा, अपने आप, जैसे ध्वनि व्यवस्थित होगी-आने लगेगा।

    आपको ओम् नहीं कहना है, आपको सिर्फ ओ कहना है—म् को आने देना है। पूरी श्वास को बाहर फेंक दें, फिर ओंठ बंद कर लें और शरीर को श्वास लेने दें। आप मत लें।

    निकालना आपको है, लेना शरीर को है। लेने का काम शरीर कर लेगा। श्वास रोकनी नहीं है। लेते समय आप को कुछ भी नहीं करना है—न लेना है, न रोकना है—बस, छोड़ना है।

    तो दस मिनट तक ओऽऽऽऽऽऽ...की आवाज के साथ श्वास को छोड़ें—मुंह से; फिर नाक से श्वास लें, फिर मुंह से छोड़ें, फिर नाक से लें...और ऐसे ओऽऽऽ...की आवाज करते-करते सो जाएं।

    इससे निद्रा गहरी और स्वप्नहीन हो जाएगी तथा सुबह उठने पर एक अपूर्व ताजगी का अनुभव होगा।

    - ओशो 

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