गौरीशंकर ध्यान - ओशो
गौरीशंकर ध्यान - ओशो
घंटेभर के इस ध्यान में चार चरण हैं और प्रत्येक चरण पंद्रह मिनट का है।
पहले चरण
को ठीक से करने पर आपके रक्त प्रवाह में कार्बन-डाय-आक्साइड का तल इतना ऊंचा हो जाएगा कि आप अपने को गौरीशंकर- एवरेस्ट शिखर पर महसूस करेंगे। वह आपको इतना ऊपर उठा देगा। इस ध्यान प्रयोग के दूसरे चरण में साधकों के सामने प्रकाश का एक बल्ब तेजी से सतत जलता-बुझता रहता है। पहला चरण
आंखें बंद कर बैठ जाएं। अब नाक से उतनी गहरी श्वास भीतर लें, जितनी ले सकते हैं। और इस श्वास को भीतर तब तक रोके रहें, जब तक ऐसा न लगने लगे कि अब अधिक नहीं रोका जा सकता। फिर धीरे-धीरे श्वास को मुंह से बाहर निकाल दें। और फिर तब तक भीतर जाने वाली श्वास न लें, जब तक लेना मजबूरी न हो जाए। यह क्रम पंद्रह मिनट तक जारी रखें।
दूसरा चरण
श्वसन-क्रिया को सामान्य हो जाने दें। आंखें खोल लें और सतत जलते-बुझते हुए तेज प्रकाश को धीमे-धीमे देखते रहें। दृष्टि को तनाव नहीं देना है। और शरीर को पूरी तरह स्थिर रखें।
तीसरा चरण
खड़े हो जाएं, आंखें बंद कर लें और शरीर को लातिहान के ढंग से धीरे-धीरे हिलने दें। लातिहान के द्वारा आप अपने अंतस को शरीर के माध्यम से प्रकट होने दें, और उस अभिव्यक्ति में पूरा सहयोग दें।
चौथा चरण लेट जाएं और सर्वथा निष्क्रिय हो रहें, साक्षी हो रहें।
- ओशो
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