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    ध्यान बिना प्रयोजन के सिर्फ होने-मात्र से है - ओशो

     

    Meditation-is-just-being-without-purpose-Osho

     ध्यान बिना प्रयोजन के सिर्फ होने-मात्र से है - ओशो 

    ध्यान हमारी जिंदगी में उस डायमेंशन, उस आयाम की खोज है, जहां हम बिना प्रयोजन के सिर्फ होने-मात्र में, __ जस्ट टु बी—होने-मात्र से आनंदित होते हैं। और जब भी हमारे जीवन में कहीं से भी सुख की कोई किरण उतरती है, तो वे, वे ही क्षण होते हैं, जब हम खाली, बिना काम के समुद्र के तट पर, या किसी पर्वत की ओट में, या रात आकाश के तारों के नीचे, या सुबह उगते सूरज के साथ, या आकाश में उड़ते हुए पक्षियों के पीछे, या खिले हुए फूलों के पास—कभी जब हम बिना काम, बिलकुल बेकाम, बिलकल व्यर्थ, बाजार में जिसकी कोई कीमत न होगी ऐसे किसी क्षण में होते हैं, तभी हमारे जीवन में सुख की थोड़ी सी ध्वनि उतरती है। लेकिन यह आकस्मिक, एक्सिडेंटल होती है। ध्यान, व्यवस्थित रूप से इस किरण की खोज है।

    - ओशो 

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