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    मरे हुए लोभ का नाम अहंकार है - ओशो

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    मरे हुए लोभ का नाम अहंकार है - ओशो 


    मरे हुए लोभ का नाम अहंकार है, और अजन्मे अहंकार का नाम लोभ है, वह जो अभी जन्म लेगा। और इस वजह से हम चुक रहे हैं वर्तमान से जहां कि सत्य है, जहां कि अस्तित्व है। लेकिन लोभ बड़ा कुशल है, जब सब तरह के लोभ से चुक जाएगा तो वह कहता अब परमात्मा को भी पाना चाहिए। वह भी अहंकार ही है। लोभ बड़ा कुशल है, अहंकार की बड़ी अनंत आकांक्षाएं हैं, जब सब पा लेता है वह — धन पा लेता, यश पा लेता, प्रेम पा लेता, आदर पा लेता तब वह कहता है कि ठीक है यह सब पा लिया, अब परमात्मा को भी पाना है, अमृत को भी पाना है, आनंद को भी पाना है, मोक्ष को भी पाना है, अब मोक्ष कैसे मिले? फिर वह लोभ की भाषा में मोक्ष की बातें सोचने लगता है।

    चुक गया, उसे पता नहीं है कि यही भाषा तो इतने दिन चुकाती रही है, यही भाषा फिर आगे भी पकड़े रहेगा वह। हो सकता है वह ढंग बदल ले अपना, मधुशाला न जाकर मंदिर जाने लगे, फिल्में न देख कर भजन-कीर्तन करने लगे। यह सब कर लेगा वह। लेकिन उसके चित्त का जो तनाव था, लोभ का और अहंकार का वह जारी है और उसी से वह चुक रहा है।

    तो मैं कैसे कहूं आपसे कि आप क्या लोभ करें? मैं तो आप से कहूंगा, आप लोभ को समझ लें, कि लोभ चुकाने वाला है और आप अहंकार को समझ लें, कि अहंकार चुकाने वाला है । और आप यह समझ लें कि अतीत और भविष्य चुकाने वाले हैं, वर्तमान मिलाने वाला है, वही अस्तित्व है।

     - ओशो 

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